नई दिल्ली:खेल एक ऐसा पेशा है जो इंसान की भावनाओं से जुड़ा है, जिसमें स्पष्ट खुशी और मायूसी होती है। हालांकि यह दोनों ही शुरुआती प्लॉट होते हैं, इसके बाद ड्रामा बढ़ता है। मैं इंसान की भावनाओं का विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर मैंने सभी छह अलग भावनाओं को महसूस किया है। मेरे करीबी दोस्तों को डर और गुस्सा रहता है। मैं यहां पर पहले गुस्से की बात करूंगा और कैसे यह एक कलाकार को ऊपर उठाता है।
मुझे कुछ पुरानी कहानी साझा करने दीजिए। यह जनवरी 2008 थी और मैं रणजी ट्रॉफी फाइनल में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रहा था। यह मैच मुंबई में खेला जा रहा था और विरोधी टीम उत्तर प्रदेश थी। मैं पहली पारी में शून्य पर आउट हो गया। मुझे मेरी तकनीक और मिजाज पर काफी आलोचना सुनने को मिली। मैं इस खेल में इस बात को दिमाग में लेकर मैदान में उतरा था कि रणजी जीतना मेरा बचपन का सपना था, लेकिन मैं इतना चार्ज नहीं था। इसके अलावा यूपी टीम में मेरे कुछ अच्छे दोस्त थे। मेरी यह आलोचना एक राष्ट्रीय चयनकर्ता ने की थी, जिसने मुझे बेहद गुस्सा दिला दिया।
अब मैं अपने इस गुस्से को तब तक अपने अंदर रखना चाहता था जब तक मैं दोबारा मैदान में बल्लेबाजी करने नहीं जाऊं। मैंने दूसरी पारी में शतक लगाया और दिल्ली रणजी ट्रॉफी जीत गई। मैंने उस शतक का काफी लुत्फ उठाया और राष्ट्रीय चयनकर्ता की ओर मजाक भी उड़ाया। तो आलोचना होने के बाद निराशा और बाद में गुस्सा और इसके बाद रणजी जीतना। इस खेल ने मुझे सभी भावनाओं से परिचित कराया।
मुझे लगता है कि विराट कोहली अभी उसी जगह पर हैं। न्यूजीलैंड दौरा शुरू होने से पहले उनसे पूछा गया कि क्या यह बदला लेने की सीरीज होगी? क्योंकि भारत 2019 विश्व कप सेमीफाइनल हारा था। तब कोहली ने जवाब दिया था कि आप चाहकर भी बदला लेने की नहीं सोच सकते हो क्योंकि यह टीम बेहद अच्छी है। मुझे नहीं लगता कि कोहली का यह जवाब मेरे लिए काम करता। कोहली हमेशा से ही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं जब वह चुनौती लेकर खेलते हैं। बदला लेने का नहीं कहूंगा, लेकिन मैं पक्का नहीं हूं कि अच्छे लड़कों का भाव सही है। मुझे लगता है कि कोहली को इस भाव की जरूरत होती है, जो आराम से कवर ड्राइव खेल सकता है और इसके बाद वह एक एनिमेटिड चीयर लीडर की तरह अपनी टीम का नेतृत्व कर सकता है। वह अच्छा करेगा अगर वह दिखाए कि जो वह है वो है, यानी विराट कोहली।
खेल के लिहाज से मुझे लगता है कि कोहली को पांच गेंदबाजों के साथ खेलना चाहिए। कोहली को हनुमा विहारी की जगह रवींद्र जडेजा को खिलाना चाहिए। विकेट चाहे पाटा हो या हरी घास भरा। पृथ्वी शॉ की बल्लेबाजी के बारे में भी बहुत कुछ कहा गया। हमें इस युवा बल्लेबाज के कौशल के साथ धैर्य बनाने की जरूरत है। वह लंबे समय तक देश के लिए खेल सकता है।
गौतम गंभीर ने बताया कि विराट कोहली किस स्थिति में करते हैं अपना बेस्ट प्रदर्शन
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