मोह को छोड़ बढे मोक्ष की ओर : आचार्य महाश्रमण
शांतिदूत के चरणों में पहुंचे महाराष्ट्र के राज्यपाल
26-02-2020, बुधवार, कोल्हापुर, महाराष्ट्र। जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज भक्तिनगर कोल्हापुर में महाराष्ट्र स्तरीय भव्य स्वागत समारोह आयोजित हुआ। अहिंसा यात्रा द्वारा जन-जन में नैतिक मूल्यों का जागरण करते हुए प्रवर्धमान जैन धर्म के प्रभावक आचार्य के स्वागत में महाराष्ट्र के कोने-कोने से श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की विशेष उपस्थिति रही। माननीय राज्यपाल ने विनम्रता दिखाते हुए मंच पर गुरुदेव के सामने कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया और नीचे ही बैठ गए। उनकी इस सादगी से पूरा प्रवचन पंडाल ॐ अर्हम की ध्वनि से गूंज उठा।
महाश्रमण समवशरण अमृतदेशना देते हुए पूज्य आचार्य श्री ने कहा हमारे जीवन में भोग भी चलता है, मनोरंजन चलता है। व्यक्ति शरीर, वाणी एवं मन से भोग का सेवन करता है। इंद्रिय विषयों में प्रति आसक्त रहकर पदार्थों को भोगता है तो वह भोग बन जाता है। दो शब्द है–उपभोग और उपयोग। पदार्थ सेवन में जब आसक्ति होती है तो वह उपभोग बन जाता है। वही आवश्यकतावश कोई कार्य किया जाए और उसमें आसक्ति ना हो तो वह उपयोग बन जाता है।
साधना के क्षेत्र में हम उपभोग से बचें उपयोग अपेक्षावश चल सकता है परंतु जब आसक्ति से विषय भोगो का सेवन करते हैं तो हमारी चेतना ऐसे चेप से युक्त हो जाती है जिससे गाढ़ कर्म चिपक जाते हैं। आसक्ति बंधन है तो अनासक्ति मुक्ति।
पूज्य वर ने आगे कहा कि जैसे कमल पानी में रहते हुए उससे लिप्त लिप्त नहीं होता वैसे ही संसार में रहते हुए व्यक्ति निर्लिप्त रहे साधना करते हुए मोह से दूर होकर मोक्ष की ओर बढ़े।
राज्यपाल के आगमन के संदर्भ में फरमाते हुए शांतिदूत ने कहा–आज राज्यपाल महोदय का आना हुआ है। राज्य में खूब शांति रहे, सद्भावना रहे। महाराष्ट्र में आध्यात्मिक नैतिक मूल्यों का उन्नयन होता रहे। स्वागत समारोह में मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगतसिंह कोश्यारी ने आचार्यवर का अभिनंदन करते हुए कहा कि त्यागी तपस्वी संतो को सुनने का देखने का मौका मिलना सौभाग्य की बात है। मुझे आज बहुत खुशी है आचार्य जी के दर्शन हुए। पूज्य आचार्य श्री नशामुक्ति, सद्भावना के लिए पैदल चल रहे हैं। आपके आने से आत्मा शुद्ध हो जाती है। राज्य की ओर से मैं आपका अनन्य विनम्र भाव से स्वागत करता हूं।
प्रातः 9:00 बजे से शुरू हुआ स्वागत समारोह में भावाभिव्यक्ति के क्रम में सर्वप्रथम कोल्हापुर श्रावक समाज ने स्वागत गीत का संगान किया। वक्तव्य के क्रम में मुनिश्री आलोक कुमार जी, साध्वी मयंकप्रभा जी, साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी, समणी अमृतप्रज्ञा, कोल्हापुर की मेयर नीलोफर आजरेकर, पश्चिमाञ्चल आंचलिक सभा अध्यक्ष उत्तमचंद पगारिया, जयसिंहपुर से अशोक रुनवाल, राजेंद्र घोड़ावत सांगली, मराठा सभा से महेंद्र मरलेचा, विनोद घोड़ावत, डॉ विजय संचेती माधव नगर, बीड के सुभाष जी समदड़िया, अल्पसंख्यक आयोग के ललित गांधी, महकर के फकीर चंद अंचलिया, लोनार के मनोज जोगाड़, सोलापुर के कैलाश कोठारी, विदर्भ महिला मंडल, वणी के सुभाष गेलड़ा, मुम्बई के विमल सोनी, जवाहर भंसाली आदि अनेक वक्ताओं ने स्वागत में विचार व्यक्त किए।