शांतिदूत का प्रवास आज कोल्हापुर के महावीर भवन में
24-02-2020, सोमवार, कोल्हापुर, महाराष्ट्र। महाराष्ट्र की धरा पर अहिंसा यात्रा का संदेश फैलाने के लिए गतिमान शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज प्रातः कागल विकासवाड़ी से मंगल विहार किया। कोल्हापुर के लिए प्रस्थित पूज्यवर सर्पाकार मार्ग पर चढ़ाव उतार को पार करते हुए शांतिदूत निरंतर गंतव्य की ओर प्रवर्धमान थे। लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर महातपस्वी महाश्रमण कोल्हापुर के महावीर भवन में पधारे।
प्रवचन में प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए आचार्यवर ने कहा-श्री जिनेश्वर हाॅल में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान परमपूज्य आचार्यप्रवर ने अपने पावन प्रवचन में कहा कि हमारी दुनिया में जय-पराजय की बात भी होती है। कोई सक्षम व्यक्ति किसी कमजोर को परास्त कर सकता है। युद्ध में भी शत्रु सेना को परास्त करने का प्रयास किया जाता है। शास्त्रकार ने कहा कि कोई योद्धा दुर्जय संग्राम में शत्रु सेना के दस लाख योद्धाओं को जीत लेता है, वह विजय है, पर परम विजय नहीं है। जो केवल अपनी आत्मा को जीत लेता है, वह परम विजयी होता है। दूसरों को जीतना फिर भी आसान कार्य है, किन्तु स्वयं को जीतना बड़ा मुस्किल कार्य होता है। अध्यात्म जगत में दूसरों से नहीं अपने आप से युद्ध होता है और उसके द्वारा साधना की जाती है।
पूज्यवर ने प्रसंगवश कहा- करीब छह वर्षाें बाद गुरुदर्शन करने वालीसाध्वी सोमलताजी, साध्वी शिवप्रभाजी की सहवर्ती साध्वी अमितरेखाजी, साध्वी पदमावती की सहवर्ती साध्वी गवेषणाश्रीजी व साध्वी सोमलताजी की सहवर्ती साध्वी रक्षितयशाजी ने अपने हृदयोदगार व्यक्त किए। करीब दो वर्षाें बाद गुरुदर्शन करने वाले मुनि आलोककुमारजी ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। कोल्हापुर की ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति के द्वारा पूज्यचरणों में अपने भावसुमन अर्पित किए।
स्वयं को जितना सबसे मुश्किल : आचार्य महाश्रमण
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