नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश के देवरिया में गैर कानूनी ढंग से चलाए जा रहे बालिका गृह से 26 बच्चियों को बचाए जाने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने चार सदस्यी टीम को अगस्त में देवरिया भेजा। एनसीपीसीआर की इस टीम ने पाया कि पीड़िताओं के पुर्नवास के लिए किए कामों में काफी अनिमितताएं रहीं। पिछले हफ्ते महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा कि शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित लड़कियों के लिए जरूरी सुविधाओं के साथ-साथ सुरक्षित आश्रय तक का इंतजाम नहीं किया गया।
एनसीपीसीआर ने चार सदस्यीय टीम को 9 अगस्त को देवरिया में मां विंध्यावासिनी महिला एंव बालिका संरक्षण गृह भेजा गया था। इसी बालिका गृह से 10 साल की एक बच्ची ने निकलकर पुलिस को मामले की जानकारी दी थी। जिसमें उसने शारीरिक और मानसिक शोषण की बात कही, जिसके बाद पुलिस और प्रशासन हरकत में आया।
एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मामले की गंभीरता और लड़कियों की मनोदशा को अनदेखा करते हुए पीड़िताओं को पहले लड़कों के लिए बने राजकीय बाल गृह में लड़कों के साथ रखा गया। बचाई गई लड़कियों को लड़कों के साथ लगभग एक हफ्ते तक रहना पड़ा। जिसके बाद उन्हें वाराणसी, बलिया और इलाहाबाद में सरकार द्वारा संचालित बालिका गृहों में भेजा गया।
एनसीपीसीआर की टीम जिसका नेतृत्व आर जी आनंद कर रहे थे के अनुसार, शारीरिक और मानसिक शोषण की पीड़िताओं को अवसाद से बचाने के लिए कोई भी उपाय नहीं किए गए थे और साथ ही राज्य सरकार भी पीड़िताओं के पुर्नवास का इंतजाम करने में विफल रही।
देवरिया : बालिकागृह से मुक्त कराई गई लड़कियों को लड़कों के आश्रय गृह में रखा गया
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