बाजवा के ट्वीट का हवाला देते हुए पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि पिछले दो दशकों में आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए अभियान की कामयाबी के मद्देनजर इस लड़ाई को और मजबूती प्रदान की जाएगी ताकि देश और क्षेत्र में शांति और स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके।
सेना के प्रवक्ता ने कहा कि आरयूएफ अभियान को पिछले सभी आतंकवादरोधी अभियानों को मजबूती प्रदान करने के मकसद से शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि इस अभियान के जरिए आतंक के छिपे खतरों को समाप्त करने के साथ ही पाकिस्तानी सीमा की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
फरवरी 2017 में पूरे पाकिस्तान में आत्मघाती हमले हुए थे, जिनकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन जमात-उल-अहरार ने ली थी। देश में बढ़ते हमलों के मद्देनजर पाकिस्तानी सेना ने ‘रद्द-उल-फसाद’ अभियान की शुरुआत की थी।
वहीं दूसरी ओर, अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच शांति समझौते का श्रेय लेते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार (22 फरवरी) को कहा कि उनके देश ने सफल वार्ता में अपनी भूमिका निभाते हुए अमेरिका से किए गए अपने सभी वादों को पूरा किया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार (21 फरवरी) को कहा कि अफगानिस्तान में 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौता हो सकता है। पोम्पिओ के अनुसार अगले सप्ताह अमेरिका-तालिबान समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। यह ऐतिहासिक समझौता अमेरिका के सबसे लंबे विवाद को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
कुरैशी ने इस सौदे को एक ऐतिहासिक सफलता करार देते हुए कहा कि इसके लिए पाकिस्तान ने सूत्रधार की भूमिका निभाई। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान पूरी प्रक्रिया में शामिल था। विदेश मंत्रालय ने कुरैशी के हवाले से कहा, ”इस सौदे पर पाकिस्तान की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए जाएंगे, क्योंकि हमारे प्रयासों के बिना यह सौदा असंभव था।”