मुंबई:महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने लोगों के बीच से सीधे तौर पर गांव के सरपंच चुने जाने के फैसले को पलटने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने फैसला किया था कि गांवों के सरपंचों को अब सीधे लोगों के बीच से ही चुना जाएगा।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार पूर्व सरकार के फैसले को पलटते हुए अध्यादेश लाई थी कि सरपंच एक ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा चुना जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने 29 जनवरी को देवेंद्र फडणवीस सरकार के सीधे सरपंच चुने जाने के फैसले को पलट दिया था। लेकिन राज्यपाल ने एमवीए सरकार से सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में फैसले को पलटने वाला विधेयक पेश करने को कहा है।
हाल ही में कैबिनेट के फैसले के अनुसार, सरपंच को निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा ग्राम पंचायत में चुना जाएगा। ठाकरे ने नगरपालिका परिषदों जैसे स्थानीय स्व-सरकारी निकायों में डायरेक्ट इलेक्शन को लेकर किया गया बीजेपी सरकार का एक और निर्णय भी पलट दिया है।
जब सीएम उद्धव ठाकरे से पूछा गया कि क्या बीजेपी द्वारा नियुक्त राज्यपाल और एमवीए सरकार के बीच विवाद है, तो उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल और सरकार के बीच कोई विवाद नहीं है। कुछ चीजें हैं जो आगे बढ़ सकती हैं और कुछ चीजें विधानसभा सत्र से आगे नहीं बढ़ सकती हैं।’ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने अब अध्यादेश जारी करने के बजाय कैबिनेट के फैसले पर नए सिरे से विधेयक बनाने का फैसला किया है।
गवर्नर कोश्यारी ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार
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