शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या है। वास्तव में इसका मतलब था कि जो मायने रखता है वो महत्वपूर्ण गुण और मौलिक विशेषताएं हैं न कि किसी व्यक्ति को क्या कहा जाता है। नाम व्यक्ति की पहचान का एक सुविधाजनक तरीका हो सकता है लेकिन उसके गुण ही उसकी वास्तविक पहचान हो सकते है। उसी प्रकार समलैंगिकता किसी व्यक्ति का निजी स्वभाव हो सकता है, ऐसे व्यक्ति को हेय दृष्टि से देखना अनुचित है।
भारत में पहले धारा 377 लागू थी जिसके आधार पर समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा जाता था परंतु भारत में यह कानून हट चुका है। इस पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह फ़ैसला इस समुदाय को उनका हक देने के लिए एक छोटा सा कदम है। एलजीबीटी समुदाय के निजी जीवन में झांकने का अधिकार किसी को नहीं है। इसी विषय को अपनी कहानी के रूप में फिल्मी पर्दे पर प्रस्तुत कर रहे हैं निर्देशक हितेश कैवल्य और फ़िल्म का नाम है – ‘शुभ मंगल ज़्यादा सावधान’।
अमन त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) और कार्तिक सिंह (आयुष्मान खुराना) दोनों युवक दिल्ली शहर में मार्केटिंग का काम करते हैं, साथ रहते हैं और एक दूसरे से प्यार भी करते हैं। दोनों युवक समलैंगिक हैं। एक दिन दोनों अपने दोस्त को उसकी गर्लफ्रैंड से मिलवाने के लिए, उसकी गर्लफ्रैंड को घर से भागने में मदद करते हैं। लड़की तो भाग जाती है लेकिन ये दोनों पकड़े जाते हैं। किसी तरह लड़की के पिता के चंगुल से बच निकलते हैं और दोनों अमन के घर इलाहाबाद जाने की सोचते हैं। इलाहाबाद में अमन का भरा पूरा परिवार है। वे दोनों इलाहाबाद पहुंचते हैं जहाँ अमन की चचेरी बहन रजनी उर्फ गोगल (मानवी गरूर) की शादी की तैयारियां चल रही होती है। अमन अपने परिवार से मिलता है और सभी खुश हो जाते हैं। अमन के पिता शंकर त्रिपाठी (गजराज राव) अमन और कार्तिक को आपस में किस करते देख लेते हैं और उन दोनों की सच्चाई जान जाते हैं। वह अपने बेटे को समझाने का प्रयास करता है और कार्तिक को अमन की जिंदगी से दूर करने की कोशिश करता है। लेकिन गोगल के शादी के मंडप में कार्तिक और अमन की हरकतों से सभी को उनकी सच्चाई का पता चल जाता है। अमन का परिवार सच्चाई को छुपाने की कोशिश करता है मगर वर पक्ष शादी से मना कर देते हैं। यहीं से फ़िल्म में मज़ेदार उतार चढ़ाव आते हैं। फ़िल्म में उत्पन्न मजेदार ट्विस्ट और टर्न फ़िल्म को देखने पर ही ज्यादा आनंददायी प्रतीत होगा।
इस बार भी आयुष्मान खुराना की यह फ़िल्म अलग पृष्टभूमि पर बनी है यह अन्य फ़िल्मों से हट कर है। मजेदार रोमांटिक भूमिका में आयुष्मान की अदाकारी बेहतरीन है। जितेंद्र भी फ़िल्म की मुख्य भूमिका में है और पूरी फिल्म का सूत्रधार भी है। इनका अभिनय उत्तम है। फ़िल्म में नीना गुप्ता, गजराज राव, मनु ऋषि, सुनीता राजवर और मानवी जैसे उम्दा कलाकार हैं। पूरी फिल्म एक कॉमेडी ड्रामा है जो आपको हंसा हंसा कर लोटपोट कर देगी। फ़िल्म के डायलॉग मजेदार हैं। गाने कर्णप्रिय हैं। रीमिक्स गीत ‘यार बिना चैन कहाँ’ लोकप्रिय साबित हो रहा है। लेकिन फ़िल्म में दिखाया गया समलैंगिकता शायद फ़िल्म को गतिहीन बना सकता है।
टी सीरीज और कलर यलो प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म ‘शुभ मंगल ज़्यादा सावधान’ अपने नाम को सार्थक नहीं करता। वैसे तो समलैंगिकता पर इससे पहले राजकुमार राव और सोनम कपूर अभिनीत फ़िल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ बन चुकी है लेकिन वह दर्शकों के हृदय में जगह बनाने में असफल रही। आज कल समलैंगिकता पर बनी कई वेब सीरीज बन चुकी है और कामयाब भी रही है। लेकिन समलैंगिकता पर लोगों की भ्रांति पूर्ण रूपेण नहीं मिटी है। लोग छुप कर तो स्वीकार कर सकते हैं लेकिन स्वतंत्र रूप से समलैंगिकता पर बनी फिल्म को स्वीकारना शायद कठिन है। लेकिन दोस्तों के साथ समय व्यतीत करने और हँसी के ठहाके लगाने के लिए यह फ़िल्म उचित है। क्योंकि जस्टिस नरीमन ने कहा है ये कोई मानसिक बीमारी नहीं है। केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ठीक से समझाए ताकि एलजीबीटी समुदाय को कलंकित न समझा जाए।
सुरभि सलोनी की तरफ से ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ को 3 स्टार।
- गायत्री साहू