धुलिया। महापर्व संवत्सरी के पुनीत अवसर पर जनता को सम्बोध प्रदान करते हुए आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी ने कहा -पर्वाधिराज पयुर्षण का शिखर है संवत्सरी । यह मन का मैल धोने के लिए अध्यात्म की सुरसरिता है। यह अवलोकन का महापर्व है। जीवन पथ में व्यक्ति अनेक उतार -चढ़ावों को पार करता है। उन उबड़ -खाबड़ राहों में राग द्वेष आदमी को पीड़ित करते हैं। क्षमा वह राजपथ है जहां राग द्वेष नहीं होते। उस पर चलने वाला शाश्वत सुख प्राप्त कर लेता है। क्षमा के आदान- प्रदान से जीवन संवरता है। साध्वीश्री डॉ योगक्षेमप्रभाजी ने क्षमा मैत्री की प्रेरणा देते हुए कहा -यह पर्व आदान -प्रदान का पर्व है। औरों से क्षमा लेना । माफी मांगना बहुत कठिन है। इससे भी कठिन है। दूसरों की भूलों को माफ करना।-क्षमा मांगनेवाला भी बडा़ होता है। पर सरल ह्रदय से दूसरों को क्षमा वही करता है।जिसका ह्रदय विशाल है। साध्वी लावण्यप्रभाजी ने क्षमा के उपदेष्टा आचार्यों के जीवन चारित्र का रसपान करवाया । साध्वीश्री कुंदनयशाजी ने संवत्सरी पर्व के इस मौके पर उत्कर्ष युग के आचार्यों की रोचक व प्रेरक जीवनगाथा सुनाई ।साध्वीश्री मुदितप्रभाजी ने सरस व सरल शैली में धर्मकांति के सूत्रधार आचार्य भिक्षु व श्रीमद् भारिमाल स्वामी जी आदि की जीवनगाथा प्रस्तुत की । साध्वीश्री मधुरप्रभाजी ने प्रेरक वक्तव्य में हमारे आदर्श : हमारे आचार्यों की जीवनी के अनछुए प्रसंगो से सबको रूबरू करवाया। इस मौके पर साध्वीवृंद ने संवत्सरी गीत की भावपूर्ण प्रस्तुति से मैत्री पर्व की महिमा का संगान किया। तेयुप के अध्यक्ष दिनेश जी सूर्या व तेममं की अध्यक्ष श्रीमती संगीता सूर्या आदि ने मंगलकामना प्रस्तुत की।संवत्सरी पर्व के इस मौके पर चालीसगांव से समागत पुष्पादेवी विजयसिंह जी आंचलिया ने ग्यारह दिन के तप का प्रत्याख्यान किया। व महस्दी से समागत सुश्री दिव्या दिलीप कांकरिया ने सात दिन के तप का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ सभा,धुलिया की और से दिनेश सूर्या ने तपस्वी का अभिनंदन पत्र का वाचन किया। प्रात : सायं प्रतिक्रमण में अच्छी संख्या में भाई-बहनों ने भाग लिया। व पौषध व्रत की आराधना मैत्री दिवस पर प्रातः भव्य आयोजन क्षमा की भावना से एक:-प्रोत मैत्री दिवस का कार्यक्रम दि.15अक्टूबर को प्रातः हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनमेदीनी ने सर्वप्रथम पूज्प्रवर से सविधि खमतखामणा किया। इसी क्रम में वंदनीया महाश्रमणीजी , मुख्य
नियोजिका जी एवं साध्वीयों सह सकल साध्वी समाज से क्षमायाचना की गई। खमतखामणा के क्रम में मंत्री मुनिवर तथा मूख्य मुनिप्रवर सह समस्त मुनिवृंद से सबने भाववंदना सह खमतखामणा किया। इस मौके पर साध्वीवृंद ने “मैत्री दिवस मनाएंगे हम ” गीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। विदुषी साध्वीश्री ने क्षमा की महत्ता उजागर करते हुए सबसे खमतखामणा किया। सभा के संरक्षक नानकरामजी तनेजा ,विनोद जी घुड़ीयाल ,दिनेश सूर्या, विजय सेमलाणी , संगीता सूर्या ,संगीता बेदमुथा ,पुष्पा लोढ़ा व रेखा घुड़ीयाल , ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच संचालन साध्वीश्री योगक्षेमप्रभाजी ने कुशलता पूर्वक किया।
क्षमा की सुरसरिता है संवत्सरीः साध्वीश्री निर्माण श्री जी
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