नई दिल्ली:पेरिस प्लेनरी की फाइनेंशियल एक्सन टास्ट फोर्स (FATF) में तुर्की को छोड़कर सभी 39 सदस्यों ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए जून तक बचे हुए 13 एक्शन प्लान पर काम करने को कहा है। इसमे आतंकी संगठनों के प्रमुखों की गिरफ्तारी भी शामिल है। हालांकि पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने को लेकर औपचारिक फैसला शुक्रवार को आएगा।
पेरिस में राजनायिक और एफएटीएफ के सदस्यों ने इस बात पर ध्यान देने को कहा है कि किस तरह पाकिस्तान एफएटीएफ की तकनीकी प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा है। ये बात तुर्की के राष्ट्रपति तयिप इरडोगन और मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद के बयान से साबित हो गई है। दरअसल एफएटीएफ के एक दिन पहले इरडोगन ने साफ कर दिया था कि तुर्की ब्लैक लिस्ट से निकलने में पाकिस्तान की मदद करेगा। वही महातिर ने पाकिस्तान की आतंक से लड़ने को लेकर तारीफ की थी।
गौरतलब है कि बीते मंगलवार को आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को करारा झटका लगा। एफएटीएफ के सब-ग्रुप ने आतंकवाद की वित्तीय मदद रोकने में विफल रहने पर पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बने रहने देने की सिफारिश की है। हालांकि, आखिरी फैसला शुक्रवार को किया जाएगा। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने को लेकर किया गया निर्णय एफएटीएफ के इंटरनेशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (आईसीआरजी) की बैठक में लिया गया। पीटीआई सूत्रों ने बताया कि आईसीआरजी बैठक में एफएटीएफ के सब ग्रुप ने पाक को ‘ग्रे सूची’ में ही रखने को कहा है। शुक्रवार को जब एफएटीएफ में यह मुद्दा आएगा, तब इसपर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
वहीं, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान से धनशोधन और आतंक वित्तपोषण के दोषियों को कठघरे में लाने के लिए कानूनों को और कसने की मांग की है। आतंकवादियों को आर्थिक मदद रोकने की दिशा में काम करने वाली संस्था एफएटीएफ की बैठक पेरिस में 16 फरवरी से शुरू हुई और यह 21 फरवरी तक चलेगी। इसमें इस बात की समीक्षा की जा रही है कि पाकिस्तान ने आतंक वित्तपोषण और धनशोधन पर लगाम के लिए उसे सौंपी गई 27 सूत्रीय कार्ययोजना पर किस हद तक अमल किया है।