जालना। आज हमारे प्रस्थान को लेकर आप सब के अंतः करण में भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। सब गुरुदेव के प्रति विशेष रूप में कृतज्ञता ज्ञापित कर कर रहे हैं, ऐसा करना उपयुक्त भी हैं। क्योंकि हमारे लिए आस्था के एकमात्र केंद्रबिंदु गुरु ही है। गुरु के प्रति उनके मन में अनन्य आस्था होती हैं वे कठिन से कठिन लक्ष्य को एक दिन प्राप्त कर लेते हैं। आचार्यश्री महाश्रमण जी विदुषी शिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी मंगल भावना समारोह समुपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा- अपने इतने दिनों तक काफी कुछ सुना है उसे अधिकाधिक आत्मसात करने का प्रयास करें। जो व्यक्ति सुने हुए को आत्मसात कर लेता है, उसका जीवन हरे भरे वृक्ष की तरह खिल उठता है। जो उसे आत्मसात नहीं करता, वह बांसुरी की तरह सूखा का सूखा रह जाता है।
डॉ. साध्वी योगक्षेमप्रभाजी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा- भीतर में खजाना भरा हुआ है। यदि उसे पहचान लिया गया तो व्यक्ति माला माल हो सकता है ।पर सबसे दुर्लभ है अपनी पहचान। जब व्यक्ति को स्वयं की अर्हताओं का अवबोध हो जाए तो फिर उसे प्रमाद नहीं करना चाहिए। जालना में अनेक भाई बहिनों में उपासक बनने की अर्हता है। वे उसे पहचाने। परिवारिक जन उनका सहयोग करें। कम से कम पटोत्सव के अवसर पर 11 उपासक की भेंट पूज्य चरणों में जालना की और से हो।
साध्वी लावण्यप्रभाजी और कुंदनयशाजी ने गीत का संगान किया। इस अवसर पर स्थानीय सभा के अध्यक्ष सुनील जी सेठिया तेयुप के अध्यक्ष हर्ष सेठीया एवं महिला मंडल की मंत्री प्रिति सेठिया ने प्रांसगिक अभिव्यक्ति दी। श्रीमती उषा सेठीया, उर्मिला पीपाड़ा, सैला सेठीया, संगीता बोथरा ,साधना सेठीया ने हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपने भावों की प्रस्तुति दी। युवती मंडल की ओर से श्रीमती रजनी सेठीया, योग्यता सेठीया, अर्चना सेठीया ,मनीषा संचेती कविता मरलेचा, नेहा बोथरा तथा वैशाली संचेती ने भावपूर्ण मधुर गीत का संगान किया। सभा के मीडिया प्रभारी अजीतजी सेठिया ने साध्वीश्री के प्रवास की उपलब्धियों को जालना के लिए विशिष्ट बतलाया। धर्मेंद्र जी धोका परेश धोका ने इस प्रवास को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद बतलाया। सभी ने सात साध्वियों के प्रवास को जालना के इतिहास में प्रथम एवं विरल घटना के रूप में रेखांकित किया। श्रीमती सीमा सेठीया ने कार्यक्रम का संचालन कुशलता पूर्वक किया। यह जानकारी हर्ष सेठीया ने दी।
जालनाः साध्वीश्री निर्वाणश्री की मंगल भावना में मुखर रहे कृतज्ञता का स्वर
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