नई दिल्ली: पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में आइसीआइसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर सहित सात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनके खिलाफ एक स्थानीय उद्यमी धीरज गुप्ता ने न्यायालय में अर्जी दायर की थी। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने अब एफआइआर दर्ज कर ली है। उन पर आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी कर कंपनी की साख को नुकसान पहुंचाया है।
लाडवा रोड स्थित इंदौया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी धीरज गुप्ता ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय के आदेश पर आइसीआइसीआइ बैंक के ब्रांच मैनेजर सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इंदौया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी धीरज गुप्ता ने बताया कि आइसीआइसीआइ बैंक की पिपली शाखा से चार करोड़ 40 लाख रुपये का कर्ज लिया था। कर्ज लेने का एग्रीमेंट 3 मई, 2016 को हुआ था। कंपनी ने कर्ज की एवज में पिपली पुलिस लाइन के सामने बने सरकारी वेयर हाउसिंग गोदामों में अलग-अलग तिथियों में सिक्योरिटी के रूप में देसी घी से भरे टिन और सूखे दूध से भरे बैग जमा कराए थे। इसकी एवज में बैंक हर बार सही लेन-देन के चलते कंपनी को 60 प्रतिशत की अदायगी करता रहा था। कुछ दिन तक तो ठीक ठाक चलता रहा।
आइसीआइसीआइ बैंक के राहुल धवन, अंशुमन अरोड़ा, एग्रीकल्चर विंग के ब्रांच मैनेजर सवि जैन, वेयर हाउसिंग के प्रबंधक आरके शर्मा, आइसीआइसीआइ बैंक (चंडीगढ़) की सहायक मैनेजर आइशा नेगी, आइसीआइसीआइ बैंक की मुंबई स्थित मुख्यालय की मैनेजिंग डायरेक्टर चंदा कोचर, सीनियर जनरल मैनेजर एग्रीकल्चर बैंकिंग ए कामिनी और अन्य के खिलाफ आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की थी।उपरोक्त सभी के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
मिलीभगत कर कंपनी की साख को किया खराब
धीरज गुप्ता ने बताया कि 11 सितंबर, 2017 को राहुल धवन अधिकृत हस्ताक्षरी आइसीआइसीआइ बैंक पिपली ने कंपनी को 94 लाख 38 हजार 506 रुपये की राशि का 15 दिन में भुगतान करने का नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया कि अगर समय पर राशि का भुगतान नहीं किया गया तो वेयर हाउस में रखे सामान से इसकी भरपाई की जाएगी। एमडी धीरज गुप्ता का आरोप है कि बैंक कर्मियों ने मिलीभगत कर पहले से ही एक सीनियर जज सीनियर डिवीजन कुरुक्षेत्र में नोटिस में दिए गए समय से पहले ही केस दायर करा दिया। एक उच्च न्यायालय में 15 दिन की छूट से पहले दे दी और इसमें तथ्य भी गलत दर्शाया बताया गया कि कंपनी का खाता एनपीए हो चुका है। आरोपियों की मिलीभगत से कंपनी की साख को काफी नुकसान पहुंचा।
पौने दो करोड़ का सामान किया खुर्दबुर्द
धीरज गुप्ता का आरोप है कि वेयर हाउसिंग के रिकॉर्ड के अनुसार उसका एक करोड़ 78 लाख 80 हजार का सामान वेयरहाउस में रखा था, जो सभी आरोपियों ने मिलीभगत कर खुर्दबुर्द कर दिया। जब इस बारे में बैंक अधिकारियों से मामले की जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने जानकारी देने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने अदालत की शरण ली। की जाएगी कार्रवाई पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र पाल सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।