मुम्बई। साध्वी श्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में पर्युषण महापर्व का सातवाँ दिन ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वी श्री अणिमा श्रीजी ने अपने उदबोधन में कहा ध्यान निज की खोज व निज की पहचान का पथ है। जिसने खुद को जान लिया और आत्मज्ञान की दिशा में ध्यानरथ हो गया। उसने सब कुछ जान लिया सब कुछ पा लिया। भगवान महावीर ने कहा है जो एक को जान लेता है, वह सबको पहचान लेता है। ध्यान स्वयं को पहचानने का सशक्त माध्यम है। आज हमारी चेतना, मन, इंद्रिया, प्राण, बुद्धि सब बाहर के पदार्थ जगत में उलझे पड़े है। हमे अपनी बाहर की पवित्रता, स्वच्छता, शुद्धता का ध्यान के द्वारा भीतर जन्मो जन्मो से जमे हुए क्रोध मान माया लोभ के कचरे को साफ करने का प्रयत्न ही नही हो रहा है। ध्यान के द्वारा भीतर में प्रवेश कर भीतर को स्वच्छ बनाने का प्रत्यन करे तभी ध्यान दिवस मनाने की सार्थकता होगी। साध्वी श्री जी ने पर्युषण काल में भगवान महावीर के साहस भावो का मार्मिक एवं रोचक विश्लेषण किया। साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा सौभाग्य से हमे मनुष्य जन्म मिला है। इसका सम्यक उपयोग स्वयं की खोज के लिए करे साधना आराधना के लिए करे । इससे जीवन की हर दिशा जगमगा उठेगी एवं मन की महफ़िल में दिप जल उठेगे। साध्वी सुधाप्रभाजी ने संचालन करते हुए कहा पर्युषण का समय आत्मा की आराधना प्रभु की प्रार्थना , अर्हत की उपासना समता की साधना व वीतरागता की ओर अग्रसर होने का महापर्व है। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने ध्यान के द्वारा आंनद व शक्ति की मुक्ताओं को बटोरकर आबाद बनने को कहा। साध्वी स्मतव्यशाजी ने आगम वाणी की व्यख्या की। महाप्रज्ञ विधा निधि फाउंडेशन अध्यक्ष किशनलाल डागलिया, गणपत डागलिया, सुरेश बाफना, इंद्रमल धाकड़, मनोज, दिनेश धाकड़, सुरेश डागलिया, लक्ष्मीलाल डागलिया, प्रकाश सिसोदिया, रमेश मेहता, मीठालाल सिसोदिया, मूलचन्द वागरेचा, आदि पदाधिकारियो एव सदस्यों ने शानदार मंगल संगान किया। मीडिया प्रभारी जानकारी दी। तेयुप अध्यक्ष रवि डोसी ने आगामी कार्यक्रम की सूचनाएं दी।
यह जानकारी तेयुप के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
कालबादेवी पर्युषण का सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया
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