आदित्य तिक्कू।।
विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति नाज़ुक दौर से गुजर रही है, चाहे अमेरिका हो, यूरोप या चीन। खुश मत होइये हमारी अर्थव्यवस्था भी सुस्त रफ्तार से चल रही है। शायद इसलिए हमें आम बजट की प्रतीक्षा बेसब्री से थी कि हमे क्या मिलेगा, हमारा फायदा जैसे देश किसी और का है। अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो रही है तो हमें इससे क्या लेना-देना, हमे तो अधिक से अधिक मिलना चाहिए। कर्ज बढ़ता है तो हमे क्या? मौजूदा आर्थिक दौर में बजट को इस नजरिये से भी देखने का दौर बीत गया कि उसके जरिये हमे क्या मिला? बजट को राहत-रियायत के पिटारे के तौर पर देखने के बजाय इस दृष्टि से देखना समय की मांग है कि सरकार क्या करने का इरादा रखती है और वे पूरे हो सकते हैं या नहीं? यह अच्छा है कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने और अगले पांच वर्षों में भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने के अपने वादे दोहराए। वास्तव में उसे अपने सभी वादे याद रहने चाहिए, नहीं तो जनता याद दिला देती है।
यदि वास्तविकता के धरातल पर आंकलन करके देखें तो हम पाएंगे 2020-21 का बजट एक संतुलित, विकासोन्मुख, निवेश और उपभोग को बढ़ावा देने वाला बजट है। यह मुद्रास्फीति को बढ़ाने वाला नहीं है और राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत पर रोकने में सक्षम है। यह बजट कृषि, ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण पर ध्यान देने वाला यथार्थवादी बजट है, जो पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और किसानों की आय को दोगुना करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के जरिये ऊर्जावान भारत, समृद्ध मानव पूंजी और एक स्वस्थ भारत के लिए समग्र विकास की नींव रखी है। यह रोजगार पैदा करने में मदद करेगा और इससे औद्योगिक उत्पादन में इस वर्ष 0.6 प्रतिशत से पांच प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। शिक्षा क्षेत्र को 99,300 करोड़ रुपये का आवंटन, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एफडीआइ को आमंत्रित करने और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए नये संस्थानों की स्थापना करके शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री की चिंता सराहनीय है। मेरी राय में, सरकार को नये संस्थानों की स्थापना करते समय यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रस्टों और समाज द्वारा स्थापित मौजूदा संस्थानों और कॉलेजों को बंद न किया जाये। बजट में लाया गया कर प्रस्ताव स्वागतयोगय है। यह व्यक्तिगत करदाताओं को उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने और पांच लाख की आय पर कर नहीं देने, पांच लाख से साढ़ सात लाख तक की आय के लिए 10 प्रतिशत, 10 से 12.5 लाख आय के लिए 20 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख आय के लिए 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से ऊपर की आय के लिए 30 प्रतिशत कर की घोषणा से खपत को बढ़ावा मिलेगा।
बजट से सरकार ने स्पष्ट कर दिया है देश को समृद्ध बनाने में प्रत्येक नागरिक को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से श्रमदान करना होगा इसलिए नहीं की आप यहाँ या बाहर रह रहे पर इसलिए क्यों की राष्ट्र आपका है आप मात्र आलोचना करके अपने कर्तव्य से नहीं बच सकते।