आज मौनी अमावस्या पर शनि महाराज अपनी पहली राशि मकर में प्रवेश कर रहे हैं। न्याय के देवता का प्रतिनिधित्व करने वाले शनि के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही वृश्चिक राशि से साढ़े साती खत्म होगी। कन्या, वृषभ राशि से ढैया खत्म होगी। शनि की दृष्टि हटने से कई राशियों पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ेगा। ज्योतिषाचार्य शोनू मल्होत्रा ने बताया कि शनि किसी एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं। इसलिए शनि के राशि परिवर्तन का हमारे जीवन के साथ राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थितियों पर काफी प्रभाव पड़ता है। न्याय के देवता होने के नाते सबके साथ न्याय करते हैं। खासकर मेहनत और कर्म पर विश्वास रखने वालों को सफलता मिलती है। शनि के राशि परिवर्तन को बड़ी घटना बतायी जाती है। शनि की मकर राशि में गोचर से मेष, कर्क, तुला और मकर के लिए राजयोग का निर्माण होगा।
वृश्चिक राशि से खत्म होगी साढ़े साती
ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि शनिदेव मकर राशि में 24 जनवरी को सुबह करीब नौ बजकर 35 मिनट पर प्रवेश करेंगे। 11 मई 2020 को वक्री हो जाएंगे। वे लगभग 142 दिनों तक यानी 29 दिसंबर तक वक्री ही रहेंगे। शनि के राशि परिवर्तन से वृश्चिक राशि की साढ़े साती समाप्त होगी। कन्या और वृष राशि से शनि की ढैय्या उतर जाएगी। धनु, मकर, कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती और तुला और मिथुन राशि पर शनि की ढैय्या शुरू होगी।
विभिन्न राशियों पर प्रभाव
मेष- नौकरी में तरक्की,आय बढ़ेगी
वृष- राजकृपा, लोकप्रियता बढ़ेगी
मिथुन- कार्यों में रुकावट, गृहस्थी में सामंजस्य की कमी
कर्क- अचानक धनलाभ, साझा व्यापार से लाभ
सिंह- मुकदमा में सफलता, रोगों से मुक्ति
कन्या: भूमि-वाहन योग, माता से लाभ
तुला- प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता, धार्मिक कार्य में रुचि
वृश्चिक- आमदनी में वृद्धि, संकट से मुक्ति
धनु- मान-सम्मान बढ़ेगा, संचित धन में वृद्धि
मकर- रुके कार्य में सफलता, कुटुम्ब वृद्धि
कुंभ- विदेश यात्रा योग, मानसिक परेशानी
मीन-सभी काम में सफलता, खर्च में वृद्धि
राहत के लिए निम्न उपाय करें
-शनिवार को दशरथ कृत स्रोत का पाठ करें
-बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करें
-जरूरतमंदों की मदद करें
-शनि मंदिर में दीपक जलाएं।
– सिद्ध शनि यंत्र का सरसों के तेल से अभिषेक करें
शनि के शुभ फल के लिए सुझाव
-अपने अधीनस्थों से अच्छा व्यवहार करें
-सफाई कर्मचारी को अपशब्द न कहें।
-गरीबों की सेवा करें।
-शनि स्रोत का पाठ करें
-शमी की लकड़ी का पूजन करें।
-सिद्ध शनि यंत्र का रोज़ाना पूजन करें।
-मांस-मदिरा का सेवन न करें।
-परस्त्री गमन न करें।
-झूठ न बोलें।
-किसी के साथ अन्याय न करें।
-यमुना के तटों की सफाई करें।
-पीपल के वृक्ष पर हर शनिवार सरसों के तेल का दीपक जलाएं एवं पेड़ के आसपास सफाई रखें।
-अपने चरित्र को साफ रखें।