नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता परखने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुुुरू हो गई। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, ‘हमें सिर्फ 60 याचिकाओं की कॉपी मिली है। केंद्र सरकार को याचिकाओं की कॉपी दी जाए।‘
अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सुनवाई शुरू होने से पहले कोर्ट में जमा हुई भीड़ पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बारे में कहा, ‘माहौल को शांत होना चाहिए विशेषकर सुप्रीम कोर्ट में। उन्होंने चीफ जस्टिस बोबडे से कहा कि कोर्ट को कुछ निर्देश जारी करने होंगे कि कौन कोर्ट में आ सकता है कौन नहीं। इसके लिए कुछ नियम निर्धारित करने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका व पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट में आने वाले विजिटर्स के लिए नियम हैं।’
बता दें कि मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की बेंच ने केंद्र को विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। मामले में करीब 144 याचिकाओं की सुनवाई होनी है। इनमेेंं सेे 141 याचिकाएं कानून के विरोध में हैं।
इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League), कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पीस पार्टी, SFI, और CPI भी शामिल हैं।
मुस्लिम लीग की याचिका में कहा गया है कि सीएए समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इस कानून से अवैध प्रवासियों के एक वर्ग को नागरिकता उपलब्ध कराई जाती है, वहीं धर्म के नाम पर कुछ को नागरिकता से वंचित किया गया है। याचिका में कानून पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून भारतीय संविधान के खिलाफ है। इस कानून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया।
इससे पहले 9 जनवरी को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने इस कानून को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चिंता जताई थी और कहा था कि हिंसा रुकने पर ही वे सुनवाई करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया था। हालांकि सुपीम कोर्ट ने उस दिन अधिनियम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।