मुंबई:शिवसेना और एनसीपी ने 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को रोकने के लिए मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, कांग्रेस ने उस समय इससे इनकार कर दिया था। यह खुलासा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने किया।
एक साक्षात्कार में चव्हाण ने कहा कि 2019 में भी शिवसेना के साथ हाथ मिलाने को लेकर पार्टी आलाकमान और अध्यक्ष सोनिया गांधी शुरू में तैयार नहीं थीं। हालांकि, गहन विचार-विमर्श के बाद आगे बढ़ने और सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा एक पार्टी का शासन चाहती है और विपक्ष को खत्म करना चाहती है।
फडणवीस सरकार में भ्रष्टाचार बहुत हुआ। अगर ये लोग पांच साल और सरकार में रहते तो जनतंत्र ही नहीं बचता। ऐसे हालात में कांग्रेस ने अपनी भूमिका बदली और वैकल्पिक सरकार का विचार किया। भाजपा और शिवसेना के बीच झगड़ा हुआ तो मैंने खुद वैकल्पिक सरकार की पहल की। पहले सोनिया गांधी भी तैयार नहीं थीं। मैंने सभी विधायकों और पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं से भी बात की। नेताओं ने भी माना कि भाजपा वैचारिक रूप से दुश्मन नंबर एक है। ऐसे में सबने मिलकर वैकल्पिक सरकार पर सहमति दी। इसके बाद नवंबर 2019 के आखिर में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी।
साझा सरकार में नहीं आएगी दिक्कत
एक सवाल पर चव्हाण ने कहा कि साझा सरकार के बारे में कोई 100 फीसदी गारंटी नहीं ले सकता है। हालांकि, भाजपा ने जिस तरह से विपक्ष को खत्म करने की कोशिश की और शिवसेना को धोखा दिया, हम उस मुद्दे पर साथ आए। मुझे लगता है कि जब तक ये मुद्दा है, तब तक कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, अतीत की कुछ बातें रही हैं और भाजपा कुछ पुरानी बातों को सामने लाने में लगी हुई है।
शरद पवार ने उपमुख्यमंत्री पर फैसला लिया
अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के सवाल पर चव्हाण ने कहा कि इस बारे में शरद पवार ने निर्णय लिया है। इस पर मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं है। खुद मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने पर उन्होंने कहा कि उद्धव मुख्यमंत्री, अजित पवार उपमुख्यमंत्री, बाला साहब थोराट पार्टी के नेता बने। इन सबके नीचे रहना मुझे उचित नहीं लगा। हालांकि, उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए पेशकश की गई थी, लेकिन सक्रिय राजनीति में बने रहने की खातिर उन्होंने सहमति नहीं दी।