नई दिल्ली:पंजाब के मंत्री और कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। तीस साल से भी पुराने रोडरेज मामले में पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। इसी साल मई महीने में रोडरेज के दौरान गैर-इरादतन हत्या के 30 वर्ष पुराने मामले में सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का) के मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया है जिसके लिए उन्हें जेल की सजा तो नहीं मिली है लेकिन उन पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
मामला साल 1988 का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया।
इसके बाद निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए साल 1999 में बरी कर दिया था। लेकिन पीड़ित पक्ष निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। शीर्ष कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिर्फ जुर्माना लगाकर सिद्धू को छोड़ दिया।
रोडरेज केस: नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ी
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