कलाकारः सनी सिंह, सोनाली सहगल, पूनम ढिल्लन, सुप्रीया पाठक एवं नीरज सूद आदि
डायरेक्टरः नवजोत गुलाटी
फिल्म “जय मम्मी दी” एक ऐसी प्रेम कहानी है, जिसमें प्यार करने वाले युगलकी प्रेम कहानी में उनकी मम्मियां ही विलेन हैं। पहले की जिगरी दोस्त दोनों मम्मियां वर्तमान में जिगरी दुश्मन बन गई हैं और इनकी दुश्मनी के चक्कर में उनके बच्चों की लव स्टोरी और शादी मुश्किल में पड़ गई है।
कहानीः “जय मम्मी दी” दो पंजाबी परिवारों की कहानी है जिनका घर अगल-बगल है। घर की महिलाओं पिंकी (पूनम ढिल्लन) और लाली (सुप्रीया पाठक) में जबरदस्त दुश्मनी है। दोनों एक दूसरे को फूटी आंख भी नहीं देखना चाहतीं लेकिन पड़ोसी होने की वजह से अक्सर इनका सामना एक दूसरे से शादी-ब्याह के मौके पर हो ही जाता है और वहां भी इनमें तकरार होना पक्का है। इन दोनों के बच्चे पुनीत (सन्नी सिंह) और सांझ (सोनाली सहगल) एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं और दोनों में प्यार हो जाता है लेकिन मम्मियों के डर से दोनों एक दूसरे से दुश्मनी का दिखावा करते। दोनों का रिलेशनशिप इतना बढ़ चुका है कि वे जब भी मौका मिलता एक दूजे के हो जाते। यहां तक कि दोनों हमबिस्तर भी हो चुके होते हैं। दोनों के कॉलेज की छुट्टी होनी होती है तो कॉलेज के फंक्शन में सांझ अपने प्यार का सबके सामने ऐलान करती है लेकिन पुनीत अपनी मां के डर से कुछ नहीं बोलता चुपचाप वहां से निकल जाता है। कहानी आगे बढ़ती है। दोनों अपने मांओं के डर से घर में नहीं बता पाते और दोनों की शादी कहीं और तय हो जाती है। दोनों मांओं में इतना कंपटीशन है कि वे एक ही हॉल में एक ही दिन शादी रखती हैं। अंत में क्या होता है, दोनों पड़ोसियों की दुश्मनी का कारण क्या है? दोनों में कंपटीशन किस हद तक होता है? पुनीत और सांझ एक दूसरे के हो पाते हैं कि नहीं? फिल्म में और कितने ट्विस्ट हैं? यह सब जानने के लिए एक बार “जय मम्मी दी” देखने थिएटर जाएं।
एक्टिंग/निर्देशन/संगीतः फिल्म में सनी सिंह औऱ सोनाली सहगल लीड भूमिका में हैं। किरदार के मुताबिक उन्होंने एक्टिंग तो की है लेकिन सनी कुछ नया करने में नाकाम रहे हैं जबकि सोनाली चुलबुली, एग्रेसिव तो लगी हैं बावजूद इसके परदे पर खास कमाल नहीं कर पाई हैं। इसी तरह पूनम ढिल्लन और सुप्रीया पाठक भी लीड के बाद सबसे महत्वपूर्ण किरदार में हैं, लेकिन झगड़ालू मांओं के किरदार में मजबूत छाप नहीं छोड़ पाई हैं। फिल्म में नीरज सूद की थोड़ी सी भूमिका है, वे अपने किरदार में हमेशा की तरह ही नजर आए हैं, हालांकि उन्हें भी करने को कुछ खास नहीं था। बाकी किरदार भी सामान्य रहे हैं।
फिल्म का निर्देशन नवजोत गुलाटी ने किया है। नवजोत गुलाटी “जय मम्मी दी” को प्रभावी नहीं बना सके। फिल्म दर्शकों को बांधने में नाकाम रही है। जबकि ऐसा सदाबहार विषय था, जो हमेशा ही बढ़िया मनोरंजन का माद्दा रखता है।
संगीतः अगर संगीत की बात करें तो पंजाबी संगीत वैसे भी पूरी दुनिया में मशहूर है और इस फिल्म में भी वह ठीक-ठाक है।
“जय मम्मी दी” को सुरभि सलोनी की तरफ से 2 स्टार।
– दिनेश कुमार ([email protected])