क्या आपने भारी-भरकम स्कूल बैग कैरी करते हुए बच्चों को देखा है? अपनी उम्र और वजन से ज्यादा स्कूल बैग कैरी करने की वजह से बच्चों को बेहद कम उम्र में सेहत से जुड़ी समस्याएं होने लगती है। जैसे, अर्पिता गुड़गांव के एक प्राइवेट स्कूल में 7वीं में पढ़ती है।पिछले एक साल से उसकी पीठ और गर्दन में भारी दर्द हो रहा है। उसके पैरेंट्स कई डॉक्टरों से मिले।बच्ची को एक्स-रे, एमआरआई जैसी कई जाचों से गुजरना पड़ा लेकिन समस्या बरकरार रही। फिलहाल 2 महीने से उसकी फिजियोथिरेपी चल रही है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि बच्चों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए उनके बैग कैरी करने के तरीकों के अलावा कुछ खास बातों पर ध्यान दिया जाए।
ऑर्थोपेडिक सर्जन की क्या है राय
इस समस्या पर सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन हिमांशु त्यागी ने बताया कि “स्कूल जाने वाले लगभग 40% छात्रों को पीठ और गर्दन के दर्द की परेशानी है।भारी स्कूल बैग गर्दन की मांसपेशियों को खींचता है।गर्दन के दर्द के कारण रीढ़ की हड्डी के पीछे तकलीफ होती है।यह दर्द पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी बच्चे का प्रदर्शन खराब कर सकता है। इससे बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है और उसका मनोबल नीचे आ सकता है।”
बच्चों की उम्र के आधार पर स्कूल बैग के वजन को सीमित करने के लिए कुछ राज्य सरकारों ने हाल ही में नियम बनाए हैं। ये नियम विभिन्न अध्ययनों पर आधारित थे जिनमें बताया गया था कि भारी स्कूल बैग ले जाने से बच्चे की रीढ़ की हड्डी प्रभावित हो सकती है। यहां तक कि छात्र स्थायी विकलांगता के शिकार भी हो सकते हैं।
बच्चों के शरीर के वजन के हिसाब से निर्धारित है बैग का वजन
इस संबंध में ओडिशा और दिल्ली राज्य सरकारों द्वारा सराहनीय कदम उठाए गए हैं।उन्होंने स्कूल बैग के वजन को बच्चे के शरीर के वजन के 10% तक सीमित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। साथ ही स्कूल अधिकारियों को उचित टाइम टेबल बनाने का निर्देश दिया गया है।जिसमें प्रति विषय पुस्तकों की संख्या को प्रतिबंधित करने को कहा गया है।
दिल्ली राज्य सरकार के अनुसार वजन के हिसाब से बैग का वजन
कक्षा 1 और 2 – 1.5 किलोग्राम
कक्षा 3,4, 5 -3 किलोग्राम
कक्षा 6,7- 4 किलोग्राम
कक्षा 8,9 – 4.5 किलोग्राम
कक्षा 10 वीं से ऊपर – अधिकतम 5 किलोग्राम
इन बातों का रखें ध्यान
-टाइम टेबल का सख्ती से पालन करें
-अगर स्कूल छात्रों से हर रोज पूरे सेलेबस की किताबें लाने को कहते हैं, तो आपत्ति दर्ज कराएं।
-रीढ़ को मजबूत करने के लिए स्कूल में नियमित फिजिकल ट्रेनिंग /एक्सरसाइज / स्पोर्ट्स पीरियड हो
-कक्षा में प्रत्येक छात्र को स्कूल में ही एक्स्ट्रा किताबें रखने के लिए लॉकर उपलब्ध कराया जाए।
-स्कूल के बच्चे का बैग अगर भारी है और उसे इसके साथ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है, तो स्कूल में लिफ्ट का भी प्रावधान होना चाहिए।
स्कूल बैग कैसे कैरी करें
-स्कूल बैग को हमेशा दोनों कंधों के ऊपर रखा जाना चाहिए (रीढ़ की हड्डी के तनाव को 30% तक कम कर देता है।जबकि यह छात्र अक्सर बैग को एक कंधे पर पहनते हैं)
-स्कूल बैग पीठ पर बहुत टाइट या बहुत ढीला नहीं होना चाहिए। यह रीढ़ की हड्डी को तटस्थ स्थिति में लोड करने के लिए बस पर्याप्त तंग होना चाहिए। (स्कूल बैग टांगते समय बच्चे को आगे झुकने या पीछे की ओर झुकने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए)।
-भारी वस्तुओं को बच्चे की पीठ के करीब रखें और साइड जेब में हल्का सामान रखें।
स्कूल बैग में चौड़ी पट्टियां होनी चाहिए।
-अधिक लंबे स्कूल बैग हमेशा चौड़े बैग की तुलना में पसंद किए जाते हैं, क्योंकि लंबे बैग में अधिक भार आ जाता है।
-स्कूल बैग ऊपर से गर्दन और कंधे क्षेत्र के करीब शुरू करना चाहिए।
-यदि किसी विशेष दिन पर, बच्चे को स्कूल में अतिरिक्त वजन ले जाना है। वजन के साथ स्कूल बैग को भरने के बजाय हाथ में भारी वस्तुओं को पकड़ना बेहतर होता है।