“छपाक से पहचान ले गया” गाने के अलावा फिल्म में एक डायलॉग है – “उसने मेरी पहचान बदली है मन नहीं”। पीड़िता का दर्द और उसकी बहादुरी दोनों दर्शाने में कामयाब दीपिका पादुकोण की फिल्म “छपाक” एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल पर बेस्ड है। फिल्म की निर्माता दीपिका पादुकोण हैं जबकि स्क्रीन प्ले, डायलॉग और डायरेक्शन मेघना गुलजार ने किया है।
कहानीः फिल्म “छपाक” की शुरुआत होती है दिल्ली में रेप के खिलाफ विशाल आंदोलन से। जिसमें आंदोलनकारी पुलिस के सामने जबरदस्त तरीके से डटे हुए हैं। पूरी मीडिया उस आंदोलन को कवर कर रही है, इस बीच एक व्यक्ति चैनल के कैमरे के सामने एसिड अटैक पीड़िता का फोटो बार-बार लाता है लेकिन कैमरामैन उसे हटा देता है। कैमरामैन और रिपोर्टर दोनों उस पर नाराज होते हैं, इस बीच एक युवक अमोल (विक्रांत मैसी) आकर उस व्यक्ति को अपने साथ लेकर जाने लगता है और टीवी पत्रकार पर तंज करता है कि रेप के सामने भला एसिड अटैक को कौन तरजीह देगा। टीवी की पत्रकार उस युवक को पहचान लेती है और कहती है मैं यह स्टोरी करूंगी। वह मालती को ढ़ूंढती है और शुरू होती है उसके ऊपर हुए एसिड अटैक की कहानी। एसिड अटैकर मोटरसाईकिल से आता है और उस पर तेजाब फेंककर भाग जाता है। एक सरदारजी आते हैं उसकी मदद करते हैं फिर उसे अस्पताल पहुंचाया जाता है। शक की सुई मालती के ब्वायफ्रेंड राजेश (अंकित बिष्ट) पर जाता है लेकिन बाद में मालती बताती है कि एसिड अटैक करने वाला राजेश नहीं बल्कि उसका जानने वाला बब्बू उर्फ बशीर और उसकी बहन परवीन शेख हैं। पुलिस धर-पकड़ करती है और कहानी आगे बढ़ती है। फिल्म में बताया गया है कि एक एसिड अटैकर की जिंदगी किस तरह से चलती रहती है लेकिन पीड़िता कैसे तबाह हो जाती है। फिल्म में एसिड अटैक पीड़िताओं के जीवन की कहानी के अलावा लक्ष्मी अग्रवाल द्वारा एसिड बैन को लेकर की गई पीआईएल और अमोल द्वारा स्थापित एनजीओ द्वारा पीड़िताओं के मदद की कहानी बड़े ही बेहतरीन ढंग से कही गई है, फिल्म बहुत ज्यादा ड्रैमेटिकल न बनाते हुए मेघना गुलजार ने सीधे-सीधे मुद्दे की बात करते हुए एसिड पीड़िताओं को लेकर सरकारों की उदासीनता पर भी सवाल उठाया है। यह समाज की ऐसी फिल्म है, जो वह सब बताने में कामयाब हुई है कि किस तरह पुरुष प्रधान समाज के कुछ शैतानी मानसिकता के लोग अपनी इच्छा ना पूरी होने पर एक लड़की की पूरी पहचान छीनकर उसे पूरी तरह तबाह कर देते हैं। इन्हें समझने व उन पीड़िताओं के दर्द को समझने के लिए फिल्म एक बार जरूर देखें।
डायरेक्शन/अभिनयः “छपाक” देश में एसिड अटैक से पीड़ित सैकड़ों लड़कियों की कहानी है, जिसे समझाने में निर्देशक मेघना गुलजार कामयाब रही हैं। बिना ज्यादा ड्रामा या एक्शन के उन्होंने पूरी बात काफी सहज ढंग से कही है। उनके निर्देशन की खास बात भी यही रही है कि इसके बावजूद वह दर्शकों को फिल्म से बांधे रखने में कामयाब रहीं। फिल्म कहीं भी ओवर नहीं लगी है। फिल्म के स्क्रीनप्ले व डायलॉग पर मेघना गुलजार व अंकिता चौहान ने काफी मेहनत की है। फिल्म के कुछ डॉयलॉग तो बहुत बेहतरीन बन पड़े हैं।
अगर अभिनय की बात करें तो दीपिका पादुकोण ने शानदार एक्टिंग की है। वह फिर से अपने अभिनय का लोहा मनवाने में कामयाब रही हैं। एक-एक सीन को दीपिका ने बड़ी शिद्दत से किया है। साथ ही पूर्व पत्रकार व एनजीओ के कर्ताधर्ता अमोल के रोल में विक्रांत मैसी की भी एक्टिंग काफी दमदार है। उनका एक्सप्रेशन, चाल, ढाल सब बढ़िया है। इनके अलावा बाकी कलाकारों में मालती की वकील अर्चना के रोल में मधुरजीत सरघी, मीनाक्षी के किरदार में वैभवी उपाध्याय ने अपने अच्छे अभिनय से फिल्म को काफी स्ट्रांग बनाया है। जिसे एक बार तो देखना बनता है।
सुरभि सलोनी की तरफ से फिल्म को 3.5 स्टार।
– दिनेश कुमार ([email protected])
फिल्म रिव्यूः “छपाक”
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