2023 तक भारतीय सेना का स्वरूप बदलने की तैयारी, छोटा और पैना होगा आकार

नई दिल्ली: सेना प्रमुख बिपिन रावत ने अपने मातहत सभी वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ दिल्ली में मंगलवार को एक अहम बैठक की। इस बैठक का मकसद सेना के रक्षा बजट का बेहतर इस्तेमाल और सेना के पुर्नगठन की समीक्षा करना बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सेना प्रमुख चाहते हैं कि 12.6 लाख सैनिकों वाली सेना को थोड़ा छोटा किया जाए ताकि रक्षा बजट का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके।
असल में सेना में करीब डेढ़ लाख सैनिकों की कटौती को लेकर विचार-विमर्श पहले से चल रहा है। वजह यह है कि अभी रक्षा बजट का करीब 83 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों की तनख्वाह में खर्च हो जाता है और हथियार व दूसरे सैन्य साजो-सामान के लिए थलसेना के पास पूंजीगत व्यय मात्र 17 प्रतिशत ही रह जाता है।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो अगले दो साल में 50,000 सैनिकों को कम किए जाने की संभावना है। वहीं 2022-23 तक 1,00,000 और कर्मचारियों को कम किया जा सकता है। भारतीय सेना कैडर समीक्षा के तहत ऐसा कर सकती है।
सेना मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल ही में सेनाध्यक्ष ने सेना के पुनर्गठन के लिए चार स्टडी ग्रुप का गठन किया था। लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की अध्यक्षता वाले ये स्टडी ग्रुप सेना के क्षेत्र गठन, सेना मुख्यालय, कैडर रिव्यू और जेसीओ रैंक के सैनिकों के काम करने के तरीकों से जुड़े हुए हैं।
माना जा रहा है कि जल्द ही ये चारों ग्रुप अपनी रिपोर्ट सेनाध्यक्ष को सौंप देंगे और फिर अक्टूबर के महीने में सेना कमांडरों की कांफ्रेस में इन सभी रिपोर्ट पर चर्चा होगी और फिर इन्हें रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बता दें कि रक्षा बजट का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा थलसेना के हिस्से आता है। जबकि बाकी 50 प्रतिशत वायुसेना और नौसेना को मिलता है। चूंकि थलसेना का स्वरूप बहुत बड़ा है इसलिए रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा सैनिकों की तनख्वाह और दूसरी जरूरतों पर खर्च हो जाता है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सेना चाहती है कि रक्षा बजट का 65 प्रतिशत सैनिकों की तनख्वाह में खर्च हो और बाकी 35 प्रतिशत हथियार खरीदने में। अगर सेना अगले चार-पांच सालों में डेढ़ लाख सैनिकों की कटौती करने में कामयाब हुई तो कम से कम 5-8 हजार करोड़ रुपये बचाये जा सकते हैं।
सैनिकों की कटौती के अलावा समीक्षा में सेना की भविष्य की जरूरतों, अधिकारियों की करियर प्रगति, सैन्य इकाइयों में अधिकारियों की कमी, गैर-सूचीबद्ध अधिकारियों के करियर प्रबंधन, सेवा छोड़ने से संबंधित प्रावधान, और अधिकारियों की दक्षता और मनोबल में सुधार शामिल है।

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