एक सिद्ध महात्मा से मिलने पहुंचे एक गरीब दंपत्ति ने देखा कूड़े के ढेर पर सोने का चिराग पड़ा हुआ था। दंपत्ति ने महात्मा से पूछा तो महात्मा ने बताया कि ये तीन इच्छायें पूरी करने वाला बेकार चिराग है बहुत खतरनाक भी जो इसको उठाकर ले जाता है वापस यहीं कूड़े में फेंक जाता है। दंपत्ति ने जाते समय वो चिराग उठा लिया और घर पहुंचकर उससे तीन वरदान मांगने बैठ गए। दंपत्ति गरीब थे और उन्होंने सबसे पहले दस लाख रूपये मांगकर चिराग को टेस्ट करने की सोची।
जैसे ही उन्होंने रूपये मांगे तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जाकर खोला तो एक आदमी रुपयों से भरा बैग और एक लिफाफा थमा गया। लिफाफे में एक पत्र था जिसमें लिखा हुआ था कि मेरी कार से टकराकर आपके पुत्र की मृत्यु हो गयी जिसके पश्चात्ताप स्वरूप ये दस लाख रूपये भेज रहा हूं मुझे माफ़ करिएगा। यह सुनते ही पत्नी दहाड़े मारकर रोने लगी। तभी पति को ख्याल आया और उसने चिराग से दूसरी इच्छा बोल दी कि उसका बेटा वापस आ जाए। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई और पूरे घर में अजीब सी आवाजें आने लगीं घर के बल्ब तेजी से जलने बुझने लगे उसका बेटा प्रेत बनकर वापस आ गया था।
दंपत्ति ने प्रेतरूप देखा तो बुरी तरह डर गये और हड़बड़ी में चिराग से तीसरी इच्छा के रूप में प्रेत रूपी पुत्र की मुक्ति मांग ली। बेटे की मुक्ति के बाद रातों रात वो आश्रम पहुंचे चिराग को कूड़े के ढेर पर फेंककर दुखी मन से वापस लौट आए।
इसलिए हमें जो भी मिला है उसमें संतुष्ट रहना चाहिए और सफलता के लिए शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, यह सिर्फ संघर्ष से ही मिलती है।
सीख-
-जीवन में हमें जो कुछ भी मिला है उसमें संतुष्ट रहना चाहिए।
-सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, यह सिर्फ संघर्ष से ही मिलती है।
-बिना सोचे-समझे कोई कार्य करने से सदैव हानि ही होता है।