सलाह और योजना ये दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिये की तरह हैं इनके बिना सफलता नामुमकिन है। आज के दौर में हर चीज प्लानिंग से हो रही है। खासकर कार्पोरेट सेक्टर तो पूरी तरह से विशेषज्ञों पर ही निर्भर है। विशेषज्ञों की प्लानिंग की बदौलत कंपनियां सफल होती हैं। पिछले दिनों हमने ऐसे ही एक वित्त विशेषज्ञ से बातचीत की, जिनका नाम है भरतकुमार सोलंकी। भरतकुमार सोलंकी करीब 30 सालों से इंश्योरेंस, फाइनेंस एवं इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनकी प्लानिंग और सलाह की बदौलत अनेक सफल व्यवसायी व सफल लोग मिल जाएंगे। सोलंकी का कहना है कि हर किसी का आईटीआर होना जरूरी है, क्योंकि आईटीआर व्यक्ति की आर्थिक कुंडली होता है, जिससे उसका आंकलन होता है।
लेखक, विचारक एवं आर्थिक मामलों के अलावा दर्शनशास्त्र में विशेष रुचि रखने वाले राजस्थान से पाली मारवाड़ के मूल निवासी वित्त विशेषज्ञ भरतकुमार सोलंकी सोशल मीडिया सहित पत्र-पत्रिकाओं में इन्वेस्टमेंट एवं सेविंग प्लान्स आदि विषयों पर लगातार लिखते रहे हैं, जिसमें कंपनीज से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक की सलाह होती है। सोलंकी मानते हैं कि आज के समय में इंसान ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। पश्चिमी देशों को फॉलो भी किया जाता है लेकिन इन्वेस्टमेंट एवं बचत को लेकर जिस तरह पश्चिमी देशों के लोग जागरूक हैं, वैसी बात हममें आज तक नहीं आ पाई, जो हमारे लिए सबसे पहली जरूरत है। हम उनके कपड़ों, रहन-सहन को तो फॉलो कर लेते हैं मगर वे इतनी शानदार जिंदगी कैसे जीते हैं, उनकी भविष्य को लेकर क्या सोच हैं इसे समझने में हम नाकाम रहे हैं।
साक्षात्कार के दौरान वित्त विशेषज्ञ भरतकुमार सोलंकी से बातचीत के कुछ अंश…
आपके काम का तरीका क्या रहा है?
“सुरभि सलोनी” के साथ विशेष बातचीत में सोलंकी ने कहा, ‘’मैंने आज तक जिस कंपनी या क्षेत्र में काम किया वहां टॉप लेवल पर रहा। जो भी काम हाथ में लिया उसमें पूरी ताकत लगा दी। एलआईसी के लिए काम करने के दौरान कई वर्षों तक लगातार मेरी टॉप पोजिशन बनी रही। मैंने कभी गिनती पर ध्यान नहीं दिया बल्कि अच्छी सेवाओं के साथ प्रॉडक्ट का ख्याल रखा, यही वजह थी कि मैं हमेशा लोगों के करीब रहा।आज मैं जो कर रहा हूं, वो हर व्यक्ति के लिए बिजनेस ग्रोथ का काम है।
बिजनेस में सफलता का असली मतलब क्या है?
सोलंकी ने इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘’आज के समय में सक्सेस का असली अर्थ व्यक्ति की अपनी निजी बैलेंससीट है। यह देखा जाता है कि उसकी बैलेंससीट कैसे ग्रोथ कर रही है। जिसकी बैलेंससीट ही नहीं है, उसका आंकलन नहीं हो सकता। यदि किसी का एक्सीडेंट हो जाए और उसके परिवार के लोग मुआवजा मांगते हैं तो आखिर उसके मुआवजे का आंकलन कैसे करेंगे। कुल मिलाकर जब हम इन्वेस्टमेंट एवं बचत के प्लान की बात करते हैं तब आईटीआर सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है और आईटीआर व्यक्ति की जन्मकुंडली की तरह हो जाती है।
इन्वेस्टमेंट और सेविंग का असली मतलब क्या है?
इन्वेस्टमेंट और सेविंग दो अलग शब्द हैं तो दोनों का डेफिनेशन भी अलग है। वर्षों से यह सुनते आ रहे हैं कि सेविंग करना चाहिए, पर पैसा बचाना एक अलग बात है तो इन्वेस्टमेंट का फंडा बिलकुल अलग। इन्वेस्टमेंट उसे कहते हैं जहां आपका पैसा बढ़ता है और उसके लिए बिजनेस में निवेश करना चाहिए। सिर्फ सेविंग करने से आपका पैसा नहीं बढ़ेगा। पैसा बढ़ाने के लिए आपको मार्केट के सक्सेसफुल लोगों की दिग्गज कंपनियों के साथ बिज़नेस में स्टॉकहोल्डिंग पार्टनरशिप करनी होगी। कंपनियों को चुनने का काम मार्केट के एक्स्पर्ट फंड मैनेजर करते हैं। फंड मैनेजर ऐसी कंपनियां चुनते हैं, जो मार्केट में टॉप लेवल पर काम करती हैं, उनके फेल होने के चांसेज काफी कम होते हैं, क्योंकि उनकी हर तीसरे माह बैलेंससीट सेबी एवं स्टॉक एक्सचेंज वेबसाइट पर अपलोड की जाती है और ऑडिट होती है।
दूसरे आम कारोबार से आपका यह एड्वाइज़री बिजनेस अलग कैसे है..?
सोलंकी बताते हैं, ‘’अन्य तमाम कारोबार से यह अलग इसलिए कहा जाता है कि इसमें बिज़नेसमैन के लिए बिज़नेस की ग्रोथ के उत्पाद हैं जो खर्च की श्रेणी में नहीं बल्कि बिज़नेस निवेश क्लास ऐसेट का प्रमुख हिस्सा हैं। अन्य व्यवसाय में लोगों को वस्तुओं पर अपना मार्जिन कमाकर बेचना होता है जबकि इसमें ऐसा नहीं है।
आर्थिक मंदी का असली कारण क्या हो सकता है?
नोटबंदी से छोटे कारोबारियों का धंधा प्रभावित हुआ जिसके बाद तमाम लोग बेरोजगार हो गए। एक बड़े तबके की क्रयशक्ति घटने से अर्थव्यवस्था में मांग गिरने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो आज तक जारी है। बाज़ार में पैसों की कमी के चलते मंदी का दौर चल रहा है।
मंदी के दौर को कम करने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए?
देश में उत्पादन और एक्सपोर्ट बढ़ाकर देश की इकॉनमी को मज़बूत किया जा सकता है लेकिन नोट प्रिंटकर बाज़ार में पुंजी बढ़ाने से थोड़े समय के लिए बाज़ार में एक बार बिक्री तो बढ़ जाएगी लेकिन देश की इकॉनमी को दीमक लग जाएगी।
आर्थिक मंदी से बचने के लिए नए उद्यमियों को क्या करना चाहिए?
लोगों को अपनी जेब या बजट के अनुसार ही प्रोडक्ट बनाने चाहिएं, कम लागत में अधिक उत्पादन कैसे किया जाए। उसके लिए नई टेक्नॉलोजी डेव्लोपमेंट पर ध्यान देना होगा।
कुछ ऐसी परियोजनाओं या स्कीम के बारे में बतायें जो युवाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करें?
खेती एक ऐसा बिज़नेस मॉडल है जिससे युवाओं को उनकी मेहनत के अनुसार लाभ जरूर मिलता है। भारत कृषि के क्षेत्र में एक बार फिर हरित क्रांति की ओर बढ़ रहा है। जिसमें किसानों को बहुत मदद मिलेगी उनकी उपज के उचित दाम तो मिलेंगे ही साथ में उन उत्पादों को बढ़ाने में बिजली एवं पानी की आपूर्ति के लिए बड़े डेम आदि के निर्माण में भी किसानों की कॉरपोरेट जगत के साथ भागीदारी विश्व में खेती के नए कीर्तिमान स्थापित करेगी।
बिजनेस में जोखिम से बचने के लिए क्या जरूरी है?
बिना जोखिम लिए बिज़नेस नहीं किया जा सकता हैं, हाँ रिस्क को मिनीमाइज़ किया जा सकता है।
बिजनेस मॉडल को बेहतर बनाने में सरकार किस तरह से मदद कर रही है?
देश के निर्यात कारोबार में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की भूमिका बढ़ रही है। निर्यात बढ़ाने की दिशा में हमें उत्पादों की प्रतिस्पर्धा के लिए बिजली और दूसरी लागतों को भी कम करना होगा। एमएसएमई सेक्टर अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसमें रोजगार की संभावनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। सरकार बिजली दरें कम करने के लिए जल्द निर्णय करे। देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत करने में ‘निर्यात’ आय का एक प्रमुख स्रोत हैं।
आपका आगे का प्लान क्या है?
मैं अपने जैसे लोग तैयार कर रहा हूं, फाइनेंसीयल एडवाइजर बना रहा हूं, कई लोग तैयार भी हो चुके हैं, जो मार्केट में इसी तरह एड्वाइज़री काम कर रहे हैं। मेरा बेटा प्रतिक भी वेल्थ क्रीएशन क्षेत्र में अपनी खुद की एक एड्वाइज़री टीम लीड कर रहा है।
- दिनेश कुमार चक्रवर्ती ([email protected])