कालबादेवी तेरापंथ भवन अणुव्रत दिवस का भव्य आयोजन हुआ

मुंबई। साध्वी श्री अणिमा श्रीजी व साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में पर्युषण महापर्व का पाँचवा दिन अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में विशाल जनमेदिनी की उपस्थिति में मनाया गया।
साध्वी श्री अणिमा श्रीजी ने अपने प्रेरणादायीं उदबोधन में कहा तेरापंथ धर्मसंघ के नवम अधिनायक आचार्य तुलसी ने एक मानव धर्म की कल्पना की। उन्होंने देश की आजादी की घोषणा के साथ ही एक घोष दिया था। असली आजादी अपनाओ । उन्होंने अपनी विशाल एवं दूरदर्शी सोच के साथ एक ऐसे आंदोलन की शुरुवात की जो मानव को मानवता के साथ जोड़ने का शंखनाद था। उसका नाम अणुव्रत आंदोलन के रूप में उजागर हुआ। किसी भी धर्म संप्रदाय की पहली से जुड़ा हुआ ।व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत आराधना करते हुए छोटे छोटे नियमो से जुड़कर अपनी कल्याण के साथ व्यसनमुक्त समाज के निर्माण में योगदान दे सकता है।
साध्वी श्रीजी ने पारिवारिक रिश्तों के बारे में भी भावपूर्ण व मार्मिक चित्रण किया। समूची परिषद गदगद व भावविभोर हो गई। साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा जीवन की तेजस्विता के लिए तीन मानक है। अनुभूति के लिए ह्र्दय चिंतन व कल्पना के लिए मस्तिष्क और कार्य के लिए मजबूत हाथ यदि हमारे पास ह्रदय है पर पवित्रता नही मस्तिष्क है पर सही समय पर निर्णय लेने का विवेक बोध नही । मजबूत हाथ है पर कर्मजा शक्ति सक्रिय नही तो जिंदगी की सार्थक तलाश अधूरी है। कर्मजा शक्ति के द्वारा पर्युषण में आत्मा पवित्रता की नई इबादत लिखे। साध्वी सुधाप्रभाजी ने अणुव्रत के नियमों का विशद विश्लेषण करते हुए परिषद को अणुव्रत के संकल्प स्वीकार करने की प्रेरणा दी। विशाल परिषद ने खो होकर साध्वी श्री से अणुव्रत के संकल्पो को स्वीकार किया। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच का संचालन करते हुए कहा अणुव्रत चारित्रिक शुद्धि का आंदोलन है। व्यक्ति विकास की सीढ़ी है। साध्वी स्मतव्यशाजी ने आगम वाणी की व्यख्या की। रात्रिकालीन कार्यक्रम में साध्वी अणिमा श्रीजी ने डालगणि की जन अदालत का रोचक चित्रण किया। साध्वी कर्णिका श्रीजी ने विचार रखे। अणुव्रत समिति के पदाधिकारियों मदन दुगड़, पुष्पा कच्छारा, गणपत डागलिया, दिनेश धाकड़, अशोक बरलोता, मनोज जाबक ,राकेश कच्छारा, लतिका डागलिया, शर्मिला धाकड़, सरला कोठारी, आशा कच्छारा, वंदना वागरेचा, गुंजन सुराणा, सरिता कच्छारा ने मंगल संगान किया। यह जानकारी तेयुप के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।

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