पैसे के बदले ईमानदारी को मत बेचो : आचार्य महाश्रमण
गत बीस दिनों में 19वीं बार बीस से ज्यादा किलोमीटर की पदयात्रा
28-12-2019, शनिवार, कर्नाटक। अहिंसा यात्रा के अन्तर्गत इन दिनों चल रहे उग्र विहारों की श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ते हुए महातपस्वी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज फिर से 26 कि.मी. की पदयात्रा की। बेंगलुरु का ऐतिहासिक चतुर्मास सम्पन्न कर हुबली मर्यादा महोत्सव करने के लिए गतिमान आचार्यश्री ने गत बीस दिनों में आज 19वीं बार एक दिन में 20 से ज्यादा किलोमीटर की पदयात्रा की। निर्मीयमाण पथ का उबड़-खाबड़पन और उस पर वाहनों के आवागमन के कारण उड़ती हुई मिट्टी आचार्यश्री के चरणों को रोकने में असमर्थ थी। आचार्यश्री मार्ग में बी.जी.केरे के गवर्नमेन्ट हायर प्राइमरी स्कूल में भी पधारे। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती बंजम्मा ने आचार्यश्री का स्वागत कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देते हुए आचार्यश्री जंगल में स्थित फोरेस्ट गेस्ट हाउस में पधारे। आचार्यश्री के दर्शनार्थ उमड़े सैंकड़ों श्रद्धालुओं और अहिंसा यात्रा के विशाल कारवां के कारण मानों जंगल में भी मंगल हो गया।
यहां आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री ने अपने पावन प्रवचन में कहा कि आदमी के मन में काम भोगों के प्रति कामना हो सकती है।
आदमी को पदार्थाें, इन्द्रिय विषयों के प्रति आसक्ति से बचना चाहिए। पदार्थासक्ति एक प्रकार का शल्य है। ऊपर से भोग न करने पर भी जो आसक्ति से पदार्थाें की कामना करता है, वह दुःखी हो सकता है। कामना एक शल्य है। वह जब तक भीतर रहता है, तब तक व्यक्ति को दुःखी होना पड़ सकता है।
मानव जीवन बहुत दुर्लभ होता है। इसको नशे, झूठ, बेईमानी आदि में नहीं खोना चाहिए। पेैसे के बदले ईमानदारी को मानों बेच देना नादानी की बात होती है। आदमी को ईमानदारी आदि के द्वारा दुर्लभ मानव जीवन का लाभ उठाना चाहिए।
सायंकाल आचार्यश्री फॉरेस्ट गेस्ट हाउस से 5.1 किलोमीटर की पदयात्रा कर पहाड़ों से घिरे हुए हंगल मेंपहुंचे। गवर्नमेंट हायर प्राइमरी स्कूल में आपका रात्रिकालीन प्रवास रहा। इस प्रकार आज का कुल विहार 26 किलोमीटर का हो गया।