नई दिल्ली:पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ ‘भारत बंद’ कर कांग्रेस ने विपक्षी पार्टियों के नेतृत्व का पहला पड़ाव पार कर लिया है। कई विपक्षी दलों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में ‘भारत बंद’ में हिस्सा लिया। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी कुछ देर के लिए धरना-प्रदर्शन में शामिल जरूर हुई, पर नेतृत्व की पूरी जिम्मेदारी राहुल के पास रही।
राहुल कैलास मानसरोवर की यात्रा पर थे, ऐसे में पार्टी की कोर टीम ‘भारत बंद’ में जुटी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर खाका तैयार कर लिया। ‘भारत बंद’ से एक दिन पहले राहुल कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटे और सोमवार को सीधे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंच कर जल चढ़ाया। इसके बाद उन्होंने राजघाट से रामलीला मैदान तक मार्च की अगुवाई भी की।
रामलीला मैदान के पास धरना-प्रदर्शन में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल जरूर हुई, पर उन्होंने भाषण नहीं दिया। वह कुछ देर ही धरना-प्रदर्शन में शामिल हुईं। जबकि मंच पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार सहित विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद थे। इसके बाद मंच की पूरी कमान राहुल के हाथ में आ गई। कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदर्शन में बोलने वाले नेताओं का क्रम तय किया। दिलचस्प बात यह रही कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता ने प्रदर्शन में राहुल से पहले भाषण दिया।
सोनिया धरना प्रदर्शन में ज्यादा देर नहीं रुकी
कई विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में राहुल गांधी का सबसे आखिर में भाषण देना एक सियासी संदेश है। यह माना जाता है कि सियासी मंच पर सबसे बड़ा नेता ही आखिर में बोलता है। इसके साथ यूपीए अध्यक्ष होने के बावजूद सोनिया गांधी ने धरना-प्रदर्शन में ज्यादा देर नहीं ठहरकर यह साफ कर दिया कि विपक्ष दलों के साथ समन्वय की जिम्मेदारी अब कांग्रेस अध्यक्ष ही संभालेंगे। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई बार यह दोहरा चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना पार्टी का पहला लक्ष्य है।