पर्युषण पर्व का चतुर्थ दिवसः भायंदर में वाणी संयम दिवस मनाया गया

भायंदर: “ज्यूँ छूटता है तीर तरकस का यारो, वाणी का तीर हृदय  “स्पर्श” करता। भर जाता है घाव खंजर का मगर, वाणी का जख्म कभी नही भरता ।।

वाणी संयम दिवस पर साध्विश्री शारदा यशाजी ने संयम द्वारा वचन सिद्धि को प्राप्त करना बताया और कहा साधुओ की वचन सिद्धि-मधुर भाषा की देन है । आपका भाग्य लिखने वाला वर्तमान ही आपका अतीत है । इंद्रियों का संचय करोगे तो ही आपकी आंखों को अच्छा रख पाएंगे , क्योंकि मोबाइल की कमजोरी सामान्यतया आमजन की कमजोरी हो गई । धर्म के माध्यम से अगर कोई अठ्ठाई करता है तो कोई भी शक्ति उसे आगे बढ़ने पर रोक नही सकती लेकिन उसके विचार, वाणी लगातार सुद्ध होने चाहिए । मंगलाचरण कन्यामण्डल संयोजिका द्वारा- सुखमय सुहास हे ,उपसंघ की सास हो। हर सब्द में मधुर मिठास हो कि सुंदर प्रस्तुती दी ।  साध्वी पंकजश्रीजी ने नमस्कार महामंत्र के जाप द्वारा एवं गुरु उपासना- गुरु की करुणा से मिलता संयम सुखमय,गुरु के चरणों मे रहता साधक निर्भय (रचयिता-आचार्यश्री तुलसी) का मंगल वाचन किया।
वाणी का संयम यानी मौन द्वारा सब दुखो को दूर किया जा सकता है ।  एक कोयल की मीठी बोली ओर काग की कड़वाहस बोली के माध्यम से समझाया कि कोयल की मधुर बोली से आप अपनी भाषा इर बोल को बदलो ताकी आपकी पहचान भी मधुर ओर सुरीली हो यह प्रतीत होने लगे । अतः इंसान की पहचान उसकी जिब व उसकी अछि बोली, सोच, विचार व संयम के व्यवहार से होती है । इसलिए साध्वी श्रीजी ने कहा वचन रत्न अनमोल है, अपने आप सभी मौन की साधना करे । साध्वी सम्यक्त्व यशाजी ने सुमधुर गीतिका – मौन साधना सबको करनी, पर्व पर्युषण आया, वाणी जे संयम से ही जीवन महकाया, ॐ अर्हम, ॐ अर्हम के सुंदर भावो द्वारा गीतिका का संगान किया । शासनश्री साध्वीश्री केलाशवतीजी ने भगवान महावीर के पूर्व भव यात्रा का 19 आए 25 भवो कि आज व्याख्या (श्रुति) करते हुए बताया कि अग्नि को अग्नि कभी शांत नही कर सकती, क्योंकि वाणी का संयम लोगो द्वारा वाणी द्वारा ही किया जा सकता है । उसी प्रकार गलत सोच, विचार वाले को मधुर वाणी से ही समाप्त किया जा सकेगा । नंदनवन में 11 लाख से ऊपर मासखमण,अठ्ठाई जेसी कितनी बड़ी तपस्या उनके उस भव में हुई । आज के वाणी संयम दिवस का संचालन चंदा कोठारी ने किया ।

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