नई दिल्ली:नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान पर विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि उन्हें (इमरान) हमारे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने की बजाय अपने देश के अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। हमें उनके हर बयान का जवाब देने की जरूरत नहीं है। इमरान ने नागरिकता विधेयक को लेकर गुरुवार को कई ट्वीट किए और भारत की आलोचना की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इमरान के ज्यादातर बयानों का कोई अर्थ नहीं होता है। पाकिस्तान के ईश निंदा कानूनों का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पड़ोसी देश के संविधान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है।
गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने की अवधि 11 से 6 साल की गई
नागरिकता संशोधित कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता मिलने का समय घटाकर 11 साल से 6 साल किया गया है। मुस्लिमों और अन्य देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 11 साल ही रहेगी। जिन गैर-मुस्लिमों ने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया है या उनके दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो गई है, उन्हें भी भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा रहेगी। जबकि बिना वैध दस्तावेजों के पाए गए मुस्लिमों को जेल या निर्वासित किए जाने का प्रावधान ही रहेगा।
भारत की इमरान को नसीहत- हमारे मामले में टिप्पणी करने के बजाय अपने देश के अल्पसंख्यकों पर ध्यान दें
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