स्वयं और दूसरों के लिए नुकसान देह है क्रोध : आचार्य महाश्रमण
11-12-2019, बुधवार, सरस्वतीपुरा, कर्नाटक। आदमी को ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिए। कभी प्रशासनिक आदि दृष्टि से कठोरता करनी भी पड़े तो आवेश नहीं करना चाहिए। आवेश व्यक्ति स्वयं के लिए कठिनाई उतपन्न कर सकता है और दूसरों के लिए उससे समस्या पैदा हो सकती है। ये उदगार अहिंसा यात्रा प्रणेता शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण ने अपने प्रवचन में व्यक्त किए। सरस्वतीपुरा में स्थित गवर्नमेंट गिरिजना आश्रम स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में शांतिदूत ने उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए आगे कहा कि व्यक्ति के मस्तिष्क में आइस फैक्ट्री और मुंह में शुगर फैक्ट्री रहे अर्थात उसका दिमाग ठंडा और वाणी मधुर रहे। बड़ों के प्रति विनय भाव रखना कल्याणकारी होता है और व्यवहारिक दृष्टि से भी वह बहुत महत्वपूर्ण होता है।
कार्यक्रम में आचार्यश्री ने चतुर्दशी के उपलक्ष में हाजरी वाचन किया तो गुरु-शिष्यों के बीच एक कक्षा का दृश्य बन गया। जिसे देख कर उपस्थित जनता गदगद हो उठी। साधु-साध्वियों ने लेखपत्र का उच्चारण कर मर्यादाओं के प्रति समर्पित रहने का संकल्प दोहराया। मुनि कमलकुमारजी के सहवर्ती मुनि नमिकुमारजी और मुनि अमनकुमारजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी ।
इससे पूर्व आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा के अंतर्गत केसरी फार्म हाउस से लगभग 14 किलोमीटर की पदयात्रा कर गवर्नमेंट गिरी जना आश्रम स्कूल, सरस्वतीपुरा में पहुंचे। हरे-भरे लाखों वृक्षों से रमणीय बने इस मार्ग पर कई ग्रामीणों ने आचार्यश्री को सविनय वंदन किया तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के पधारने से नारियल, सुपारी, काली मिर्च आदि के विशाल बागानों का रूप और भी खिल उठा।
सड़क के विस्तारीकरण की दृष्टि से आज के यात्रा पथ में स्थान-स्थान पर निर्माण कार्य जारी था, इस कारण कहीं गड्ढे थे तो कहीं मिट्टी उड़ रही थी और कहीं मार्ग संकरा था किंतु सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के उद्देश्य से अहिंसा यात्रा के रूप में यात्रायित आचार्यश्री मार्गगत कठिनाइयों को नजरअंदाज कर जनकल्याण के लिए निरंतर गतिमान थे। आचार्यश्री के दर्शन हेतु जंगल में स्थित गवर्नमेंट गिरी जना आश्रम स्कूल मे भी सैकड़ों लोग पहुंचे तो मानों ऐसे महापुरुष की उपस्थिति से जंगल में भी मंगल हो गया ।