पंकज श्रीवास्तव।।
हैदराबाद पुलिस ने बलात्कार के 4 आरोपियों का एनकाउंटर किया। इस एनकाउंटर ने समाज में एक नया विमर्श छेड़ दिया है। एनकाउंटर के तुरन्त बाद हैदराबाद में जहाँ लोगों ने मिठाई बाँटी, मौका-ए-वारदात पर लोगों ने पुलिस टीम पर पुष्प बर्षा की, पीड़िता की बहन ने पुलिस वालों की कलाई पर राखी बाँधी। हैरत देखिए इस घटना से आम लोग ही खुश नहीं दिखे, कमोबेश कानून बनाने वाले सांसदों ने भी खुलकर अपनी खुशी का इजहार किया और इस कदम का स्वागत किया। सवाल है कि क्या बदलते वक्त के साथ इस त्वरित न्याय प्रणाली को स्वीकार कर लिया जाए? इसी विषय पर हमारे ब्यूरो प्रमुख पंकज श्रीवास्तव ने बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद से एक खास बातचीत की। पेश है उसी का सार।
अभयानंद का स्पष्ट मानना है भारतीय न्याय प्रणाली का निर्माण जनता के लिए ही हुआ है और समय-समय पर उन्हीं को ध्यान में रखकर इसमें परिवर्तन भी किया गया है। अगर कानून निर्माताओं को ये प्रणाली इतनी ही पसंद है तो वो संसद में एक बिल परित करें और कानूनी रुप से इसे मान्यता दे दें। अभयानंद की माने तो बलात्कार ही क्यूँ भ्रष्टाचार और अन्य जघन्य अपराधों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए।
अभयानंद से जब ये सवाल किया। कि “आपने बर्षों पुलिस में गुजारा क्या हैदराबाद की ये घटना कुछ चौकाने वाली नहीं दिखती? मसलन घटना सुबह 3 से 6 बजे के बीच बतायी जा रही है, वह भी बस्ती से दूर लेकिन घटना स्थल पर तुरन्त लोग फूल लेकर कैसे पहुँच गये और पुष्प बर्षा करने लगे? और तो और जिस पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में इस एनकाउंटर को अंजाम दिया, उसने इसके पूर्व तीन अन्य एनकाउंटर को भी ठीक उसी तरह अंजाम दिया जैसे इस एनकाउंटर को ? कहानी भी वही परिस्थितियाँ भी वही? सिर्फ जगह और आरोपी बदले?” इस सवाल के जबाब नें अभयानंद कहते हैं। ‘इंडियन एविडेंस एक्ट’ एक पुस्तक है। मूल रुप से इसका इस्तेमाल बीमा कम्पनियां करती हैं। इसके सेक्शन 14 में इस बात का विस्तृत उल्लेख है कि जब एक ही घटना बार-बार सामने आने लगे तो उसे संयोग नहीं, नियोजित माना लिया जाता है। तय मानिए इस एनकाउंटर में शामिल सभी पुलिसकर्मी पर केस होना तय है। अव्वल तो अब आरोपियों पर दोष सिद्ध करना भी पुलिस के लिए बड़ी बात होगी।
बहरहाल अभयानंद की एक बात यहां पूरी तरह सटीक बैठती है। भारतीय कानून अपने आपमें मुकम्मल और सम्पूर्ण है। निर्दोष का बचाव भी है और अपराधियों के लिए फंदा भी जनता की अकुलाहट तो समझ में आती है लेकिन निर्माताओं की नहीं। निर्भया मामले के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट बना, लेकिन निर्भया की मां को आज तक न्याय नहीं मिला। अभी उन्नाव रेप केस सुर्खियों में है। इससे शर्मनाक और क्या होगा कि बेल पर निकलकर आये अपराधियों ने पीड़िता को जला दिया। ये सिस्टम का दोष है। 2007 के बाद आज तक किसी अपराधी को फांसी नहीं हुआ। तिहाड जैसे जेल में जल्लाद तक नहीं हैं।
अभयानंद की मानें तो जो कुछ हुआ बेहद तेजी से हुआ। देर सबेर इस एनकाउंटर में शामिल सभी पुलिस वाले जेल के अंदर होंगे। कारण अब न पीड़िता है न ही आरोपी। पुलिस को अब उन्हें दोषी साबित कर देना ही बड़ी बात होगी।
हैदराबाद एन्काउंटर और उठते सवाल पर पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की जरूरी टिप्पणी
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