नई दिल्ली:इस हफ्ते कांग्रेस के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं के बीच हुई बैठक में पार्टी ने आनेवाले चुनावों में चंदे को लेकर जनता तक अपनी पहुंच बनाने का फैसला लिया है। पार्टी का मानना है कि ऐसा करके वह पुराने सिस्टम में वापस जाएगी, जब चुनावों के खर्चे के लिए जनता से फंडिंग लेना एक अहम हिस्सा माना जाता था। माना जा रहा है कि पार्टी को यह कदम कम कॉरपोरेट फंडिंग आने की वजह से उठाना पड़ रहा है।
चुनाव और राजनीतिक दलों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर ने पिछले महीने पार्टी को मिलने वाले डोनेशन को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के जरिए से 31 क्षेत्रीय दलों को 2016-17 में मिले कुछ डोनेशन की जानकारी दी गई थी। वहीं, इस साल कुछ समय पहले 2016-17 में राष्ट्रीय दलों को मिले डोनेशन की भी रिपोर्ट जारी की गई थी।
इन रिपोर्ट्स की तुलना करने के बाद मालूम चलता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से सत्ता खोने के बाद कांग्रेस को धन जुटाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। शिवसेना और आम आदमी पार्टी को साल 2015-16 और 2016-17 में डोनेशन को मिला दिया जाए तो फिर यह पैसा कांग्रेस को मिलने वाले डोनेशन से अधिक हो जाता है।
एडीआर की वेबसाइट www.myneta.info में राजनैतिक दलों को साल 2001-02 तक मिलने वाले सभी डोनेशन की पूरी जानकारी है। हमारे सहयोगी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसकी मदद से पूरी जानकारी जुटाई है और आपस में तुलना की है। डोनेशन मिलने के मामले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस साल 2004-05 और 2008-09 तक तकरीबन बराबर ही थीं। जब यूपीए -1 सरकार में थी तो उस समय यूपीए-2 के शासन में कांग्रेस को मिलने वाले डोनेशन के मुकाबले बीजेपी को दोगुना डोनेशन मिला था।
वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के पहले तीन साल के समय में बीजेपी को मिलने वाला डोनेशन कांग्रेस के मुकाबले पांच गुना अधिक बढ़ गया है। साल 2015-16 और साल 2016-17 में कांग्रेस को मिलने वाला डोनेशन और घटता चला गया।
एडीआर डेटाबेस में पिछले अवधि में क्षेत्रीय दलों की छोटी संख्या की भी जानकारी उपलब्ध है। हालांकि, यह डेटाबेस भारत में राजनीतिक दलों को मिलने वाले डोनेशन का एकमात्र सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोत है। हमें यह समझना होगा कि राजनैतिक दलों को मिलने वाला डोनेशन उनकी आय का एकमात्र साधन नहीं होता है। कांग्रेस को 2016-17 में मिलने वाला कुल डोनेशन शिवसेना और आम आदमी पार्टी को मिलाकर मिले डोनेशन से कम है। जबकि कांग्रेस की कुल आय दोनों दलों की आय के मुकाबले 3.5 गुना अधिक है। क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी ने 2016-17 में सबसे अधिक आय की जानकारी दी ही लेकिन यह डोनेशन के मामले में चौथे नंबर पर रही।
2013-14 और 2016-17 के बीच, बीजेपी ने कुल आय कांग्रेस की तुलना में चारगुनी हो गई है। सभी राजनीतिक दलों की कुल आय में कांग्रेस का शेयर 2014-15 में पहली बार 30 फीसदी से नीचे आया है और तबसे ही लगातार गिर रहा है।
मई 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के हवाले से ब्लूमबर्ग ने जानकारी दी थी कि कांग्रेस ने फंड की कमी होने के चलते विभिन्न राज्यों में स्थित पार्टी के ऑफिसों के रखरखाव के खर्चे देने बंद कर दिए हैं। चुनाव आयोग में बीजेपी और कांग्रेस द्वारा दी गई खर्चे की जानकारी में सामने आया है कि बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकाबले सिर्फ 1.5 गुना पैसा ही अधिक खर्च किया है, जबकि पार्टी ने कांग्रेस की तुलना में 6.4 गुना ज्यादा सीटें जीती थीं।
AAP और शिवसेना को मिलाकर कांग्रेस की तुलना में मिला ज्यादा चंदा
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