मुंबई। मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग, श्री भागवत परिवार और गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन के समापन सत्र में प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते हुए रामनाइक ने कहा कि राम उत्तर प्रदेश से महाराष्ट्र आने वाले पहले अतिथि थे। वे लंबे समय तक पंचवटी में ठहरे थे। यह सुखद संयोग है कि इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का उद्घाटन महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने किया और समापन उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामनाइक द्वारा सम्पन्न हो रहा है।
इस दौरान वीरेन्द्र याग्निक के सत्तर साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उनपर प्रकाशित ‘समिधा’ नामक ग्रंथ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम के आरंभ श्री भागवत परिवार के अध्यक्ष एस.पी.गोयल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका परिचय दिया।इस अवसर पर मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में दस विदेशी विद्वान, पचास आमंत्रित विद्वान तथा 763 आगंतुक शामिल हुए।इस मंथन से यह संदेश निकला है कि रामकथा में संपूर्ण विश्व को प्रेरितऔर प्रभावित करने की शक्ति है। उसमें संपूर्ण विश्व का कल्याण करने की क्षमता है।इस मौके पर वीरेन्द्र याग्निक के सत्तर साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उनका सार्वजनिक अभिनन्दन किया गया।उन्होंने कहा कि ‘वीरेन्द्र जी अब हो गये सत्तर, चलो समेटो कागज पत्तर।’इस अवसर पर याग्निक जी के चित्रों की गैलरी का भी उद्घाटन हुआ।कार्यक्रम का संचालन सुरेन्द्र विकल ने किया और मुकुल अग्रवाल ने आभार ज्ञापित किया।
इसके उपरांत गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब के सदस्यों द्वारा रामलीला प्रस्तुत की गयी जिसमें तकनीक का अद्भुत प्रयोग दिखाई पड़ा। इस मौके पर देश-विदेश से आए हुए विद्वान, श्री भागवत परिवार के पदाधिकारी और गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब के सदस्यों के अलावा हजारों की संख्या में दर्शक उपस्थित थे।
राम हमारी अस्मिता की पहचान हैः रामनाइक
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