बस्ती ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित वाल्टरगंज थाना अंतर्गत पिछले महीने हुए बसपा नेता रामराज उर्फ गम्मज हत्याकांड में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से ब्राह्मण समाज इसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक सक्रिय है और आरोपियों को निर्दोष बता रहा है जबकि दिन दहाड़े हुई इस हत्या में मृतक ने मौत से पहले दिए बयान में आरोपियों का नाम लेकर हत्या की वजह भी बताई थी तथा उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी खुद चश्मदीद गवाह हैं। इसे लेकर एक ब्राह्मण संगठन ने कुछ लोगों के साथ सड़क पर उतरकर आरोपियों के पक्ष में प्रदर्शन करते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस मामले को देखते हुए अब दलित समाज भी सड़क पर उतरकर मामले में नया ट्विस्ट ला दिया है। दलित समाज के सैकड़ों लोगों ने एसपी ऑफिस पर धरना दिया और परिवार व मृतक पर की जा रही टिप्पणी पर ऐतराज जताते हुए कहा कि लखनऊ से आई जांच टीम आरोपियों के घर नाश्ता कर रही है, ऐसे में वह कहां तक निष्पक्ष जांच करेगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उनकी मांग है कि मामले की जांच पूर्ववत रखते हुए जिला स्तर पर ही होनी चाहिए।
जानकारी के अनुसार, जहां एक तरफ कुछ लोग एसआईटी से जांच करवा रहे है, वही इस मामले को लेकर पीड़िता के परिजन काफी परेशान दिख रहे हैं। 28 नवंबर 2019 को सुबह लगभग 11:00 बजे सैकड़ों की संख्या में लोगों ने एसपी ऑफिस पर धरना दिया, जिनमें इनकी प्रमुख मांग है कि रामराज उर्फ गम्मज हत्याकांड प्रकरण की जांच जिला स्तर पर ही कराई जाए। वर्तमान समय में लखनऊ से जांच हेतु जो टीम आई है वह टीम किस विभाग की है तथा क्या पद हैं उनके द्वारा मेरे परिवार के साथ काफी उत्तेजित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है तथा मेरे विपक्षी के यहां नाश्ता आदि कर रहे हैं जो कि नियम विरुद्ध है तथा इस प्रकरण की जांच किसी दलित/अल्पसंख्यक/पिछड़ी जाति के अधिकारियों से कराई जाए क्योंकि यह प्रकरण दलित बनाम सवर्ण का है।
इस हत्याकांड में कौन से त्रुटि हुई है और किस स्तर से पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा एसआईटी जांच हेतु लिखा जा रहा है? जबकि मृतक पूर्व में अभियुक्तों के खिलाफ अपना बयान भी अंकित कराया है। जिस असलहे से हत्या हुई है तथा अभियुक्तों के पास से बरामद हुआ है उसी बोर की गोली मृतक के शरीर में पाई गई है। ऐसे में कितना उचित है कि यह प्रकरण की जांच अन्य एजेंसी से कराई जा रही है। सभी ने एक स्वर में मांग की है कि प्रार्थी के भाई के मुकदमे की जांच जिला पुलिस से कराई जाए ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। इस मुकदमे की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने की आवश्यकता नहीं है। यदि अन्य एजेंसी से जांच कराई जा रही है तो जानबूझकर मेरे मुकदमे को शिथिल किया जा रहा है। उक्त प्रकरण में यदि किसी तरह का फेरबदल किया गया तो मेरा परिवार और मैं आमरण अनशन/आत्मदाह के लिए बाध्य होंगे।
एडिशनल एसपी के आश्वासन पर धरने को स्थगित करते हुए रामराज के भाई चंद्रप्रकाश ने कहा कि यदि हमारे साथ न्याय नहीं होगा तो हम अनिश्चितकालीन आमरण अनशन व आत्मदाह के लिए बाध्य होंगे। इस धरने में सैकड़ों की संख्या में दलित समाज के लोगों की मौजूदगी रही।
उल्लेखनीय है कि सोमवार 28 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव इंटहिया निवासी झिनकान तिवारी, अशोक तिवारी के साथ सिकटा निवासी उमेश शुक्ला ने पीछे से पल्सर से आकर ताबड़तोड़ पांच गोलियां चलाई थी, जिसमें रामराज बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस हमले में उन्हें तीन गोलियां लगी थी। गोली लगने के बाद आनन-फानन में उन्हें लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गयी थी।
बसपा नेता गम्मज हत्याकांडः दलित समाज ने भी दिया धरना, जांच पूर्ववत रखने की मांग
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पुलिस को घूस चाहिए