मुम्बई। साध्वी श्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में विशाल श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति में मनाया गया। साध्वी श्री अणिमा श्रीजी ने अपने ओजस्वी उदबोधन में कहा सत्साहित्य के स्वाध्याय से संस्कारो को निरन्तर पल्लवन मिलता रहता है। स्वाध्याय से संस्कारो को निरन्तर मनुष्य को प्रकाशी बनाए रख सकता है। स्वाध्याय की सहायक सामग्री के रूप में शास्त्र और ग्रन्थ हमारे लिए अनमोल धरोहर है। समूची मानव जाति के विकास में स्वाध्याय का बहुत बड़ा योगदान रहा है। स्वाध्याय करते करते कई बार साधक की मानसिकता , एकाग्रता इतनी सध जाती है, कि उसे ध्यान में प्रवेश करने की अर्हता उपलब्ध हो जाती है। स्वाध्याय से चिंतन शक्ति कल्पना शक्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास भी होता है, तो आइए प्रति दिन दो चार पृष्ठ का स्वाध्याय करने का संकल्प ले तभी यह दिन मनाना सार्थक होगा।
साध्वी श्रीजी ने चतुदर्शी को हाजरी का वाचन करते हुए कहा तेरापंथ धर्मसंघ आज्ञानिष्ठ, मर्यादानिष्ठ , धर्मसंघ है। संघ हर सदस्य मर्यादा व अनुशासन के सुरक्षा कवच में रहकर विकास करता है। तपस्वी सन्तो ने तेरापंथ की नावो को सींचा है। कुंदनमल जी स्वमी के रोचक इतिवृत्त की प्रस्तुति साध्वी श्री ने दी। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने मंगल उदबोधन में कहा पर्युषण का यह समय धर्म व अध्यात्ममय बनने का समय है। धर्म व अध्यात्म एक ऐसा रसायन है, जो जीवन यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों को सफल बना सकता है। चिरपालित कर्म संस्कारो को परिमार्जित कर समुज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकता है। साध्वी कर्णिका श्रीजी ने प्रतिपल प्रतिक्षण आनंद के महासागर में आव्हान करे एवं जीवन को शानदार बनाए। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा जीवन के अनमोल क्षण सृजन में लगे कुछ नए निर्माण की रेखाएं अंकित करें। तभी जीवन की सार्थकता है। साध्वी सुधाप्रभाजी ने आगमी कार्यक्रमों की जानकारी दी। साध्वी समतव्यशाजी ने गीत का संगान करते हुए आगम पद्यों की विवेचना की। सायन कोलीवाड़ा व धारावी महिला मंडल ने मंगल संगान की सुंदर प्रस्तुति दी। यह जानकारी तेयुप के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।