भायंदर। जय महावीर भगवान, मन मंदिर में आओ धरु निरंतर ध्यान की स्तुति साध्वी शारदा प्रभाजी द्वारा की गई। आओ सभीजन मिलकर करे प्रयोग- सहज मिले सबका सहयोग। धर्म द्वारा आत्मा को स्वच्छ करने के लिए निर्मल भावो की अभिव्यक्ति रखनी चाहिए। तपस्या से ही कर्मो के बंधन को दूर किया जा सकता है। असंख्यक भाग 4 में 83 लाख से 83 लाख के गुणांक को पूर्वानुभान (पूर्वाभास) कहा गया। संयम व आत्मा के प्रति जागरूक नही-परमाधि है। रात्री भोजन त्याग करने वाले को एक पखवाड़ा (पंद्रह दिन) का लाभ मिलता हैं।
निधि सांखला ने मंगलाचरण में स्वाध्याय पर्व-पर्युषण पर्व आया का मंगल संगान किया। साध्वी सम्यक्त्व यशा जी अपनी गीतिका-करो सदा स्वाध्याय, जीवन चमकेगा ही चमकेगा द्वारा सभी को आकर्षित किया। साध्वीश्री पंकजयशाजी ने स्वयं की खोज करना व अपने आप को देखना, स्वाध्याय द्वारा जीवन मे बदलाव जरूरी है द्वारा स्वाध्यान पर समझाते हुए कहा जब हम स्वयं बदलेंगे तो जीवन मे भी अवश्य बदलाव आएगा। आचार्य श्री जयाचार्य ने लाडनू में अपने स्वाध्याय से पीर (मुसलमान) का भी मन परिवर्तन कर स्वाध्याय में लीन होने के लिए नतमस्तक करवा दिया। जहा स्वाध्याय होता है वहाँ सभी देवी देवता भी उपासना करते है। सच्चे मन से स्वाध्याय द्वारा हमे बहुत महत्वपूर्ण लब्धिया भी प्राप्त हो सकती है।
शासनश्री साध्वी केलाशवतीजी ने सह साध्वीवृन्द को आज स्वाध्याय दिवस पर सभी तरह के त्याग का पचखान करवाया। सभी साधु व साध्वियां आचार्य प्रवर की आज्ञानुसार त्याग का पालन करे। आज्ञा, धर्म, मर्यादा की आराधना करने तथा सह साध्वीवृन्द को हाजरी का निष्ठापूर्वक वाचन करवाया । अगर आप सच्चे मन से काम करोगे तो नाम स्वतः ही होगा। अभिमान किसी भी प्रकार का किसी भी व्यक्ति को नही करना चाहिए। तेयुप अध्यक्ष विनोद डांगी ने श्रावक निष्ठा पत्र का वचन कर सभी जन को त्याग दिलवाए । कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन सह संयोजिका संजू बाफना ने किया।
पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन-स्वाध्याय दिवस
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