वाशी। शासनश्री जिनरेखाजी ने प्रेरक उध्बोधन में कहा जैनो का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व-पर्युषण पर्व है। पर्युषण पर्व पुरुषार्थ का पर्व है। दुआरे शब्दो मे वासनाओं को उखाड़ फेंकने का पर्व है। पर्युषण पर्व भीतर मुड़कर देखने की बात कहता है। स्वरांजलि ग्रुप ने पर्युषण पर्व की मंगल शुरुआत मंगलाचरण से की। खाद्य संयम दिवस पर साध्वी मार्दवयशा ने अपने विचार व्यक्त किये। इंदूजी बडाला का मासखमण तप का अभिनंदन हुआ। बी.सी. भलावत ने इंदु बडाला के तप की अनुमोदना की। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीतिका की सुंदर प्रस्तुति दी।मुलचंदजी भलावत ने अपने बेटी की तपस्या की सराहना की। रमेशजी धाकड़, अर्जुनजी सोनी,जयश्री बडाला ने अपने विचार व्यक्त किये। साध्वी श्वेतप्रभाजी ने तप की महिमा को व्यक्त किया। इंदु बडाला के परिवार से गीतिका की प्रस्तुति दी। नरेन्द्रजी बडाला ने विचार व्यक्त किये। बाबुलालजी बाफना ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। महासभा के कार्यकारणी सदस्य महावीर जी कोठारी प्रमुखाश्रीजी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन किया।वाशी से इस बार 15 उपासक उपसिकाएँ धर्म आराधना कराने अलग अलग क्षेत्रों में गए,उनकी मंगलमय यात्रा के लिए तेरापंथ समाज वाशी द्वारा शुभ कामना दी गई। सभा अध्यक्ष सम्पतजी बागरेचा, सभा मंत्री दिनेशजी हिरण, रमेशजी सामर, कमलेशजी बोहरा, गौतमजी कोठारी, चेतनजी कोठारी, विजयजी नहाटा, अशोकजी डांगी, प्रेमलताजी सिसोदिया, रेखाजी कोठारी,सीमाजी मेहता,पवनजी परमार,पंकजजी चंडालिया, अर्जुनजी सोनी, राजूजी कावड़िया, प्रवीणजी चोरडिया,अमितजी आंचलिया,सुरेशजी बाफना, युवक परिषद के अध्यक्ष रंजीतजी खांटेड, अन्य गणमान्यों की उपस्तिथि रही। वाशी में सीमा मेहता ने मासखमण किया। यह दूसरा मासखमण है।कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महावीर हिरण, विनोद बाफना, हरीश गादिया, राकेश चंडालिया, धर्म बोध कोठारी, नितेश बाफना, प्रकाश संचेती का सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन नीरजजी बम्ब ने किया। यह जानकारी तेरापंथ युवक परिषद सयोजक पंकज चंडालिया ने दी।