अहिंसा सुख की जननी : आचार्यश्री महाश्रमण
शांतिदूत ने प्रदान की राग द्वेष से मुक्त बनने की प्रेरणा
16-11-2019, शनिवार , मद्दुर, मंड्या, कर्नाटक। शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आज प्रभात वेला में अहिंसा यात्रा के साथ मत्तिकरै स्थित गवर्मेंट आदर्श विद्यालय से मंगल विहार किया। मैसूर की ओर गतिमान पूज्य प्रवर लगभग 15.5 किलोमीटर का प्रलंब विहार कर मद्दुर स्थित एच.के. वीरेन गौड़ा कॉलेज में पधारे।
यहां पर श्रद्धालुओं को अमृत देशना देते हुए पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण जी महाश्रमण जी ने कहा कि अहिंसा परम धर्म है। अहिंसा सबका कल्याण करने वाली होती है। हिंसा दुख देने वाली होती है और अहिंसा सुख देने वाली होती है। प्राणी मात्र के प्रति हमें मैत्री का भाव रखना चाहिए। जितना हो सके हिंसा केअल्पीकरण का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य प्रवर ने आगे फरमाया कि अहिंसा-हिंसा का संबंध हमारे भावों से हैं, चेतना से हैं। जो अप्रमत्त एवं राग-द्वेष मुक्त हैं वह अहिंसक है। व्यक्ति को राग-द्वेष कम करने का प्रयास करना चाहिए। शांतिदूत ने एक दृष्टांत के माध्यम से प्रेरणा देते हुए कहा कि अहिंसा की आराधना के लिए आदमी को लोभ पर नियंत्रण करना चाहिए। गुस्सा व लड़ाई-झगड़े से व्यक्ति दूर रहे। हमारे भीतर समता रहे तो जीवन अच्छा बन सकता है।
पूज्य प्रवर ने तत्पश्चात मद्दुरवासियों को अहिंसा के तीनों संकल्प स्वीकार कराएं। कॉलेज प्रिंसिपल को प्रेरणा देते हुए कहा कि संस्थान ज्ञान का मंदिर है। ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार दिए जाएं। अच्छा चरित्र रहे तो विद्यार्थी मजबूत बन सकते हैं।
अभिवंदना के क्रम में बुरड़ परिवार ने गीत का संगान किया। श्री नवरत्न मल बुरड़, श्रीमती स्नेहा गोखरू व स्थानकवासी समाज से श्रीमती ममता रांका ने अपने विचार रखे। कॉलेज प्रिंसिपल श्री स्वरूपचंद्रा जी ने शांतिदूत का स्वागत किया।
सायंकाल 8.5 किमी का विहार कर शांतिदूत हल्लेबूद्दनुर स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल पधारे।