बेंगलुरु: अंतरराष्ट्रीय एनजीओ एमनेस्टी इंटरनेशनल पर गैर-कानूनी तरीके से विदेशी फंड जुटाने के मामले में सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। जांच एजेंसी के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल) ने कथित तौर पर विदेशी अनुदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के प्रावधानों से बचने के लिए अवैध तरीके अपनाए।
गृह मंत्रालय को मिली शिकायत के बाद सीबीआई ने 5 नवंबर को एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े 4 संस्थाओं के खिलाफ केस दर्ज किया था। शुक्रवार को बेंगलुरु और दिल्ली के चार ठिकानों पर छापेमारी हुई थी।
2015 में एफडीआई के जरिए ब्रिटेन से 10 करोड़ भेजे गए
आरोप है कि लंदन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल (यूके) ने एफसीआरए से इजाजद नहीं मिलने पर भी 2015 में 10 करोड़ रुपए एफडीआई के रूप में भेजे थे। बाद में इस एफडीआई को फिक्स्ड डिपोजिट कर दिया और उस पर 14.25 करोड़ रुपए के ओवरड्राफ्ट की सुविधा ली गई। फिर रकम निकालकर यह एनजीओ की गतिविधियों में खर्च की गई। यही नहीं, ब्रिटेन से अन्य माध्यमों के जरिए भी बेंगलुरु स्थित एमनेस्टी इंडिया से जुड़ी ईकाइयों में अलग से 26 करोड़ रुपए आए थे। कई और संस्थाओं ने एआईआईपीएल के जरिए एमनेस्टी इंटरनेशनल (ब्रिटेन) से 36 करोड़ का अंशदान प्राप्त किया था।
बिना एफआईआरए लाइसेंस के विदेशी मदद नहीं ले सकते
सीबीआई के मुताबिक, एफसीआरए में स्पष्ट प्रावधान है कि एनजीओ की गतिविधियों के लिए बिना एफआईआरए लाइसेंस के कोई भी विदेशी सहायता नहीं ली जा सकती है। जबकि एमनेस्टी इंडिया साफ तौर पर एफडीआई और अन्य माध्यमों से विदेशी सहायता लाकर एनजीओ की गतिविधियों में खर्च कर रहा था। छापे के दौरान सीबीआई को एमनेस्टी इंटरनेशनल के ठिकानों से कई अहम दस्तावेज मिले हैं। जिसके आधार पर आगे पूछताछ की जाएगी।
एमनेस्टी इंडिया ने प्रताड़ित करने का आरोप लगाया
इस पूरे विवाद पर मानवाधिकार संगठन ने बयान जारी कर कहा है कि एमनेस्टी इंडिया जब भी भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाता है, तब इसे प्रताड़ित किया जाता है। उसने कहा है कि वह भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानून का पूरी तरह से पालन करेगा।