निर्देशकः करन कश्यप
कलाकारः जय सिंह, रुचि सिंह, रजा मुराद, ललित परिमू, रवि झंकाल, पुनीत वशिष्ठ, अमिता नागिया, शीतल डिमरी आदि।
कॉमेडी फिल्म ‘बागपत का दूल्हा’ दो बचपन के दोस्तों की दोस्ती और दुश्मनी उसके बाद उनके बच्चों की दुश्मनी और लव स्टोरी पर आधारित कॉमेडी फिल्म है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की कहानी वहीं की बोली में कहती है। फिल्म बीच-बीच में गुदगुदाते हुए दर्शकों का मनोरंजन करती है। दिलचस्प विषय पर बनी यह फिल्म की कुछ चीजें अखरती हैं, बावजूद इसके फिल्म ठीक है।
कहानीः दो दोस्तों मिश्रा (ललित परिमू) और तिवारी (रवि झंकाल) की कहानी है जो एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं बाद में केबल चलाने को लेकर उनमें दुश्मनी हो जाती है। हर बात में एक दूसरे के खून के प्यास हो जाते हैं। जिनमें इनती पत्नियां भी इनका भरपूर साथ देती हैं। आगे चलकर इनके बच्चों में भी यह दुश्मनी बरकरार रहती है। शिवा शुक्ला (जय सिंह) और अंजलि मिश्रा (रुचि सिंह) अपना केबल का व्यवसाय बढ़ाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाते हैं इसी बीच एक ही क्षेत्र में दोनों को अपना व्यवसाय फैलाना है इसलिए अक्सर झगड़े और तनातनी चलती रहती है। रोज अखबारों में इनके झगड़े की खबर से यहां के विधायक विनय चौधरी (रजा मुराद) काफी परेशान रहते हैं, जो क्षेत्र में शांति चाहते हैं। इनका झगड़ा सुलझाने के लिए अलग-अलग तरह की कोशिशें करते हैं, लेकिन कामयाब नहीं होते हैं। उन्हें लगता है कि अगर इनका झगड़ा नहीं सुलझा तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। विधायक जी के कोई और तो नहीं है लेकिन एक भुलक्कड़ भतीजा है, जो अंजलि के पीछे पड़ा है। उससे शादी करना चाहता है। विधायक जी को शुक्ला और मिश्रा का झगड़ा सुलझाने का एक आइडिया आता है कि क्यों ना शिवा और अंजलि की शादी करवाकर दोनों में रिश्तेदारी करवा दिया जाएगा जिससे दोनों का झगड़ा शांत हो जाएगा और वे इसकी कवायद शुरू करते हुए दोनों के पिता को बुलाते हैं और आपसी रिश्तेदारी का प्रस्ताव रखते हैं। वे दोनों विधायक की बात मान तो लेते हैं लेकिन उन्हें यह दुश्मन से रिश्तेदारी स्वीकार्य नहीं है। इसी कहानी को लेकर फिल्म आगे बढ़ती है। इसके बाद क्या होता है, यह थिएटर जाकर खुद ही देख लें।
एक्टिंगः अक्खड़ शिवा शुक्ला के किरदार को जय सिंह ने किया है जिसे वे और भी बेहतर बना सकते थे तो रुचि सिंह अंजलि मिश्रा के किरदार को भी बेहतर कर सकती थीं, हालांकि उनके तेवर काफी दमदार रहे। ललित परिमू और रवि झंकाल मिश्रा और तिवारी के किरदार को ठीक-ठाक निभा ले गए जबकि रजा मुराद विधायक बनकर अच्छे लगे हैं। विधायक जी के भुलक्कड़ भतीजे के किरदार में पुनीत विशिष्ठ ने कई जगह हंसाने में कामयाब रहे। बाकी कलाकारों में लोकेश मालिक, अमित कसेरा, जिया चौहान, अमिता नागिया, शीतल डिमरी ने अपने-अपने किरदारों में अच्छे लगे हैं।
निर्देशनः फिल्म का निर्देशन करन कश्यप ने किया है। वे फिल्म को काफी बेहतर बना सकते थे, लेकिन कुछ चीजें समझाने में नाकाम रहे। कई सीन तो अच्छे बन पड़े हैं लेकिन उन्होंने फिल्म में उसे क्यों लिया, यह दर्शकों को समझ में नहीं आएंगे। फिर भी फिल्म ठीक-ठाक है। एक बार देखा जा सकता है। फिल्म देश के तमाम सिनेमाघरों में 15 नवंबर को रिलीज हो चुकी है।
सुरभि सलोनी की तरफ से फिल्म को 3 स्टार।
दिनेश कुमार ([email protected])