मुंबई। दक्षिण मुंबई में शासन श्री साध्वी कैलाशवतीजी ने जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहा – मर्यादित अनुशासन जीवन ही सुखी जीवन की चाबी है । हाजिरी का वाचन करते हुए कहा जो व्यक्ति मन वाणी का संयम करता है, वह अनेक प्रकार की व्याधियों से बच जाता है । श्रीराम ने मर्यादित जीवन से सत्य पर विजय प्राप्त की और अनुशासित जीवन जीकर दुनिया में इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ लिखा ।
साध्वी पंकज श्री जी ने कहा संतोष ही सुखी जीवन की चाबी है । भौतिकवाद के इस युग में हर व्यक्ति के पास पर्याप्त साधन है लेकिन पड़ोसी के सुख से दुखी है । प्रतिस्पर्धा सबसे बड़ा दुख है । चाह मिटी चिंता मिटी मनवा बेपरवाह । जिसको कुछ नहीं चाहिए वही शहंशाह । संतोषी सदा सुखी । विधायक चिंतन रखें । साध्वी शारदा प्रज्ञा ने संबोधि के चौदहवे अध्ययन की संपन्नता पर कहा व्यक्ति अनंत सुख को प्राप्त करना चाहता है तो उसे अणुव्रत अथवा महाव्रत स्वीकार करना होगा ।
श्रावक पत्र का वाचन तेयूप परिषद से दिनेश धाकड़ ने किया । लेख पत्र का वाचन साध्वी श्री ललिता श्री जी ने एवं साध्वीश्री सम्यक्त्व यशजी एवं सभी साध्वीओ ने किया । इस प्रोग्राम में विद्यानिधि फाउंडेशन ट्रस्ट के चंदनमल जी, इंद्रमल धाकड़, नरेंद्र पोरवाल, चंपालाल जी डागा, सुखलाल सियाल भी उपस्थित थे ।
महिला मंडल की संयोजिका उर्मिला कच्छारा एवं वरिष्ठ मीना सुराणा एवं अच्छी संख्या में भाई बहनों ने सुखी जीवन की चाबी के गुर ग्रहण किए । साध्वी श्री जी की सुंदर गीतिका द्वारा सभी श्रोता झूम उठे । यह जानकारी तेयुप के उपाध्यक्ष नितेश धाकड़ ने दी।
दक्षिण मुंबई कालबादेवी में ‘सुखी जीवन की चाबी’ कार्यक्रम का आयोजन
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