पुणे- आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमारजी व मुनि परमानंदजी के सानिध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्वावधान मै ज्ञानशाला दिवस सफलता पूर्वक मनाया गया । जिसमें अच्छी संख्या में बालक- बालिकाओ की उपस्थिति रही । इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने फरमाया संस्कारो का सुनहरा सफर बचपन मे हे । बचपन ज्योति है- जीवन की पोथी है । बचपन मे जो संस्कार आते है वो पचपन में भी नही आते है । बचपन को जितना सँवारा जाय, जीवन उतना ही संस्कारों से सम्पन्न होगा । संस्कारो कु संपदा अमूल्य है, संस्कार प्राप्ति का एक उपक्रम मात्र ज्ञानशाला ही है । ज्ञानशाला के माध्यम से व्यक्ति ज्ञान के साथ-दर्शन व चरित्र की आराधना कर सकता है । आचार्य श्री तुलसी ने भावी पीढ़ी को संस्कारी बनाने के लिए ज्ञानशाला उपक्रम दिया । आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने भावी पीढ़ी पर विशेष तौर पर ध्यान आकर्षित किया । तथा वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण जी ने बालक बालिकाओ को संस्कारवान बनाने हेतु ज्ञानशाला के लिए प्रेरित करते है । मुनिवृन्द ने आगे कहा-श्रेष्ठ ग्रंथों का स्वाध्याय, भगवान का ध्यान, निज दोषों का चिंतन, सज्जन लोगो की संगती व धैर्य रखने से व्यक्ति की चेतना जागृत होती है । मुनि परमानंदजी ने कहा-धन वैभव से ज्यादा संस्कारो का मूल्य हे । संस्कार की संपदा सर्वश्रेष्ठ संपदा हे । कार्यक्रम का कुशल सुभारंभ नन्हे मुन्हे बच्चो के मंगल संगान से हुआ । वही ज्ञानशाला के बालक बालिकाओ ने भाव विभोर करने वाली प्रस्तुति दी । आभार ज्ञापन तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष व ज्ञानशाला प्रभारी दिनेश खिंवेसरा द्वारा किया गया । कार्यक्रम का संचालन शोभा सुराणा ने किया । कार्यक्रम को सफल बनाने में वनिता रांका, सपना सुराणा, शोभा सुराणा आदी प्रशिक्षिकाओ का महत्वपूर्ण योगदान रहा । इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेन्द्रजी कोठारी ने भी अपने विचार अभिव्यक्त किये ।