हजारों के संख्या में क्षेत्र के करीबियों और चाहने वालों का उमड़ा हुजूम
बस्ती ब्यूरो। सवर्णों की गोलियों का शिकार हुए बसपा नेता रामराज उर्फ गम्मज का गुरुवार को सुकरौली स्थित श्मशाम घाट पर भारी पुलिस बंदोबस्त व हजारों लोगों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें मुखाग्नि उनके बड़े सुपुत्र आनंद ने दी। चार भाईयों में सबसे बड़े रामराज उर्फ गम्मज भाईयों में सबसे बड़े थे। वे अपने पीछे पत्नी विजयलक्ष्मी, सुपुत्र आनंद, अनुराग व एक बेटी के अलावा भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनकी अंतिम यात्रा जुलूस में उस समय तब्दील हो गई, जब आगे-आगे सफेद वैन में उनका शव तथा पीछे उमड़ी भीड़ नारे लगा रही थी ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, रामराज का नाम रहेगा’। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था तो ‘नेता’ के अंतिम दर्शन को उमड़े लोगों की आंखों में अपराधियों के प्रति गुस्से के साथ ही दुख की नमी भी थी। उल्लेखनीय है कि रामराज को ‘नेता’ कहकर बुलाते थे। वे काफी समय बहुजन समाज पार्टी के लिए काम करते रहे हैं तथा समाज में अच्छी लोकप्रियता थी।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को रामविलास (रामराज) उर्फ गम्मज की उनके पैतृक गांव इंटहिया निवासी झिनकान तिवारी, अशोक तिवारी के साथ सिकटा निवासी उमेश शुक्ला ने सुकरौली चौराहे के पास उस समय ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जब वे सपत्नी अस्पताल किसी रिश्तेदार से मिलने जा रहे थे, जिसमें रामराज बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस हमले में उन्हें तीन गोलियां लगी थी और बुधवार को लखनऊ मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। हमले के बाद गम्मज ने तीनों हमलावरों को पहचान लिया और मृत्यु से पूर्व पुलिस को दिए अपने बयान में इनका नाम भी लिया। जिसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल की सींखचों तक पहुंचाने में कामयाब रही।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में राजनीति अब तूल पकड़ रही है। एक तरफ ब्राह्मण समाज के कुछ युवा सोशल मीडिया के जरिए अपराधियों को निर्दोष साबित करने का झूठा अभियान चला रहे हैं, क्योंकि तीनों ही अपराधी ब्राह्मण हैं तो वहीं भीम आर्मी ने भी न्याय के लिए कमर कस ली है। हालांकि पुलिस इस मामले को लेकर काफी सतर्क है। फिलहाल क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है।