नयी दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को देश का अगला सीजेआई नियुक्त करने के लिए मंगलवार को केन्द्र से सिफारिश की। इस तरह अब सभी अटकलों पर विराम लग गया है।
दरअसल, आठ महीने पहले देश के प्रधान न्यायाधीश की कार्यशैली के खिलाफ खुल कर असहमति जाहिर करने वाले न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति गोगोई भी शामिल थे। हालांकि, मतभेदों के बावजूद सीजेआई मिश्रा ने पंरपरा का पालन किया और अपने बाद उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई के नाम की सिफारिश की है। यदि केंद्र सरकार इस पर मुहर लगा देती है (जिसे एक औपचारिकता माना जाता है), तो देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गोगोई को तीन अक्तूबर को शपथ दिलायी जायेगी। वर्तमान सीजेआई दीपक मिश्रा दो अक्तूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति मिश्रा का पत्र सीजेआई कार्यालय ने जरूरी कार्रवाई के लिए कानून एवं न्याय मंत्रालय को भेजा है। सीजेआई पद पर गोगोई का कार्यकाल एक साल से कुछ अधिक होगा। उनका कार्यकाल अगले साल 17 नवंबर को समाप्त होगा, जब वह सेवानिवृत्त्ति की उम्र 65 वर्ष को पूरा कर लेंगे।
अगले प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की सिफारिश के बारे में अटकलें उस वक्त शुरू हुई थी, जब न्यायमूर्ति गोगोई सहित उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने इस वर्ष जनवरी में संवाददाता सम्मेलन किया था। इसमें न्यायाधीशों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति मिश्रा की आलोचना की थी। चारों न्यायाधीशों ने विशेष तौर पर कुछ पीठों को मामलों के आवंटन के तरीके का मुद्दा उठाया था।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में न्यायमूर्ति मिश्रा से अगले प्रधान न्यायाधीश के लिए नाम की सिफारिश करने का आग्रह किया था। इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति गोगोई को नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की। इसके साथ ही देश के अगले प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
न्यायमूर्ति गोगोई 23 अप्रैल 2012 को पदोन्नत कर उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनाए गए थे। वह कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं और फिलहाल वह राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अंतिम रूप देने के संवदेनशील विषय और लोकपाल के चयन के लिए एक सर्च कमेटी की नियुक्ति की मांग करने वाली पीआईएल जैसे अहम मामले देख रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित प्रतिवेदन (एमओपी) के अनुसार ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की नियुक्ति होनी चाहिए जिसे उस पद के लिए उचित माना जाए।’’
इस प्रक्रिया के तहत सीजेआई से सिफारिश प्राप्त होने के बाद कानून मंत्री उसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखते हैं जो इस मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।
दस्तावेज में उल्लेख है, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की फिटनेस को लेकर यदि कोई संदेह हो तो भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए अन्य न्यायाधीशों के साथ सलाह मशविरा किया जाएगा।’’ कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में कहा था कि अगले प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर सरकार के इरादे पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि परंपरा के तहत वर्तमान प्रधान न्यायाधीश द्वारा अगले प्रधान न्यायाधीश के लिए नाम सुझाने पर कार्यपालिका निर्णय लेगी। न्यायामूर्ति गोगोई केशब चंद्र गोगोई के बेटे हैं, जो असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। न्यायमूर्ति गोगोई 1978 में कानून के पेशे में आए थे। वह गुवाहाटी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं। वह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं।
अगले सीजेआई के लिए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश
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