मुंबई। किशिनचंद चेलाराम कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में 5 अक्टूबर, 2019 को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रोकथाम के लिए विश्वविद्यालय स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल डिफेंस के सहयोग से किया गया था। कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुंबई पुलिस आयुक्त संजय बर्वे थे। कार्यशाला चार अलग-अलग सत्रों के साथ एक पैनल चर्चा में विभाजित थी।
इन सत्रों में विशेषज्ञों ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात की थी। कार्यशाला में मुंबई विश्वविद्यालय क्षेत्र के 5 अलग-अलग क्षेत्रों के एनएसएस वालंटीयर्स ने भाग लिया। अपने स्वागत भाषण में के.सी. कॉलेज की प्राचार्य डॉ. हेमलता बागला ने इस कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि के.सी. कॉलेज की एनएसएस इकाई हमेशा ऐसी पहल करने की कोशिश करती है, जो समाज के लिए लाभकारी हों। मुख्य अतिथि संजय बर्वे ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रति जनजागरूकता और रोकथाम कार्यक्रमों में पुलिस विभाग भूमिका एवं नारकोटिक्स विभाग द्वारा उठाए गए कदमों तथा निरंतर किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री बर्वे ने युवाओं में मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि कैसे नागरिक समाज और प्राधिकरण इस बुराई को रोकने के लिए एक साथ आकर सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं।
इसी क्रम में डॉ. जनखाना हक्कानी ने ‘री-गैजेटिसेशन’ के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि गैजेट की लत भी मादक पदार्थों की लत की तरह ही नुकसानदेह है। डॉ. हक्कानी ने कहा कि 13 -24 आयु वर्ग के युवा फोन के गुम होने के डर से नोमोफोबिया से ग्रसित हैं। डॉ. अक्षता भट्ट ने ‘आत्महत्या की रोकथाम’ विषय पर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति आमतौर पर हमारे द्वारा उपेक्षित होता है। हालांकि जब भी आवश्यकता हो, उस पर चर्चा करना और चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता लेना बेहद आवश्यक है। डॉ. भट्ट ने समझाया कि आत्महत्या की प्रवृत्ति के चेतावनी संकेत क्या हैं और उन लोगों से कैसे सामना किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे परिवार, दोस्त और समाज सामान्य रूप से आत्महत्या की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। डॉ. होजेफा भिंडरवाला ने ‘मादक द्रव्यों का सेवन’ विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने छात्रों को इस तरह के आकर्षण से बचने और किसी से प्रभावित न होने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने व्यसन और नशामुक्ति के प्रत्येक चरण में परामर्श की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। चतुर्थ सत्र में मनोवैज्ञानिक सुश्री शीतल बिडकर ने कहा कि चिकित्सा सहायता के अलावा, लत से पूरी तरह से उबरने के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता की भी आवश्यकता होती है। इंटरैक्टिव पैनल चर्चा में, सभी वक्ताओं ने प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बचाव के महत्व को समझने में मदद की। डॉ. सतीश कोल्टे द्वारा आभार ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।
केसी कॉलेज ने किया ‘ड्रग एब्यूज प्रिवेंशन’ पर एक दिवसीय कार्यशाला
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