चेन्नई में दीक्षार्थीं भाईयों का आयोजित हुआ मंगलभावना समारोह
चेन्नई। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में दीक्षार्थीं मुमुक्षु कुणाल सावनसुखा एवं मुमुक्षु खुश बाबेल का अभिनन्दन एवं मंगलभावना समारोह मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमारजी एवं मुनि श्री रमेशकुमार के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में मनाया गया। मुमुक्षुओं के भावी आध्यात्मिक जीवन की मंगलकामना प्रेचित करते हुए मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार ने कहा कि जीवन में व्रत एवं त्याग का सर्वोपरी महत्व है। व्रत का दूसरा नाम संयम हैं। गृहस्थ असंयम का जीवन जीता हैं। कुछ गृहस्थी व्रती श्रावक भी होते है, परन्तु पूर्ण संयमी नहीं होते| पूर्ण संयम का पालन करने वाले विरले ही होते हैं।
प्रवचन प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए मुनि श्री ने कहा कि मुमुक्षु कुणाल और मुमुक्षु खुश दोनों चेन्नई के ही हैं। आचार्य श्री महाश्रमणजी के चेन्नई चातुर्मास में दोनों को वैराग्य भाव उत्पन्न हुआ। मैने दोनों दीक्षार्थींओं को नजदीक से परखा है, पूरे परिवार को पहचाना हैं, मुझे पूर्ण विश्वास हैं कि ये दोनों धर्मसंघ के प्रतिभावान संत होगें।
मुनि श्री रमेशकुमार ने कहा कि आज हम दोनों दीक्षार्थीओं का मंगल भावना समारोह मना रहे हैं। मुझे यह अनुभव है कि जो स्वयं अपने प्रति एवं दूसरों के प्रति मंगलभावना करता है वह स्वयं मंगलमय बन जाता हैं। तेरापंथ धर्मसंघ योग्य दीक्षा का पक्षधर रहा हैं। जहां संख्या को महत्व नहीं दिया जाता हैं। आचार्य श्री भिक्षु से लेकर वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमणजी तक दीक्षा के इतिहास को पढ़े तो अनेक रोमांचकारी घटनाएं हैं। चेन्नई तेरापंथ का ऐतिहासिक क्षेत्र है। अब इतिहास में दोनों मुमुक्षु नये इतिहास बनाने जा रहे हैं। ये हमारे धर्मसंघ के मुनि खेतसीजी, मुनि रायचन्दजी जैसे प्रतिभावान संत बने, यह मंगलकामना करता हूं।
मुनि श्री विनीत कुमार ने कहा कि इस आधुनिक युग में निवृत्ति के मार्ग पर चलने वाले ये दोनों बालयोगी प्रतिभावान संत होगें। मुनि श्री विमलेशकुमार ने कहा कि क्वालिटी और क्वान्टीटी में कुछ फर्क होता हैं। क्वान्टीटी से भी ज्यादा महत्व क्वालिटी का होता हैं। ये दोनों मुमुक्षु सौभाग्यशाली हैं जो संयम के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। ये इनके जीवन का श्रेष्ठ निर्णय हैं। मुनि श्री सुबोध कुमार ने अपनी जन्मभूमि की ओर से तमिल भाषा में भावाभिव्यक्ति दी। इससे पुर्व प्रात: 8 बजे तेरापंथ सभा भवन से दीक्षार्थीं भाईयों का स्वागत जुलूस निकाला गया। पूरे मार्ग में जैन, तेरापंथ के स्लोंगनों के साथ दीक्षार्थीं की जय जयकार के नारों से गगन को गुंजायमान कर दिया। साहूकारपेट के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए जुलूस पुन: तेरापंथ भवन पहुंच सभा में परिवर्तित हुआ। मुनि श्री के मंगल मंत्रोच्चार एवं जय तुलसी संगीत मण्डल की मंगल संगीत स्वर लहरी के साथ अभिनन्दन समारोह प्रारम्भ हुआ। तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़ ने स्वागत स्वर की प्रस्तुति के साथ सभी संघीय संस्थाओं की ओर से दीक्षार्थीं भाई मुमुक्षु कुणाल सावनसुखा एवं मुमुक्षु खुश बाबेल के प्रति आध्यात्मिक मंगलभावना प्रकट की। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थीयों ने लघु नाटिका के माध्यम से अपनी ज्ञानशाला के उज्जवल नक्षत्रों के प्रति मंगलभावना प्रेचित की।
इस अवसर पर दोनों दीक्षार्थीओं, उनके पारिवारिक जन, विशिष्ट अतिथि श्री ज्ञानचन्द आंचलिया, श्री मूलचन्द कोठारी ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। चेन्नई की सभी संघीय संस्थाओं की ओर से दीक्षार्थीं भाईयों एवं परिवारीक जनों को साहित्य एवं अभिनन्दन पत्र भेट किया गया। दीक्षार्थीं अभिनन्दन समारोह की इस कड़ी में रात्रिकालीन विराट धम्म जागरणा का आयोजन किया गया। जिसमें जय तुलसी संगीत मंडल के गायक कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति के साथ समा को बांधे रखा। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री श्री प्रवीण बाबेल एवं धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष श्री अनिल सेठिया ने किया।