नई दिल्ली:जकार्ता में हुए 18वें एशियाई खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को सबसे बड़ी निराशा झेलनी पड़ी, जब वो सेमीफाइनल में हारकर गोल्ड जीतने से चूक गया। हालांकि भारत ने पाकिस्तान को हराकर कांस्य पदक हासिल जरूर किया, लेकिन वो भारत की हार को भुला नहीं सकता। हॉकी टीम के कप्तान और गोलकीपर पी आर श्रीजेश को भी लगता है कि कांस्य पदक और पाकिस्तान के खिलाफ जीत से एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक ना जीतने का दर्द कम नहीं हो सकता।
एशियाई खेलों में पुरूष हॉकी के सेमीफाइनल में भारत ने नियमित समय के आखिरी मिनट में गोल खाकर मलेशिया को बराबरी करने का मौका दिया। इसके बाद भारत शूटऑफ में 6-7 से हार गया। कप्तान श्रीजेश ने एजेंसी पीटीआई से कहा, ”इस बात को लेकर कोई शक नहीं है कि हम निराश हैं। हम खिलाड़ियों को पता है कि हम कितने दुखी हैं क्योंकि हमने पूरे साल काफी अच्छा प्रदर्शन किया। कांस्य सांत्वना पदक है और इससे हमारा दर्द कम नहीं हो सकता।”
गत विजेता और दुनिया की पांचवीं और एशिया की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाली टीम स्वर्ण पदक की दावेदार थी और उसने पूल चरण में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन भी किया। भारत ने सेमीफाइनल में मिली हार से पहले एशियाई खेलों के ग्रुप चरण में 76 गोल दागे थे। हार से भारतीय हॉकी जगत स्तब्ध रह गया और कुछ ने यहां तक कहा कि टीम का अति आत्मविश्वास उसे ले डूबा, लेकिन श्रीजेश का कुछ और ही कहना है।
‘हम अति आत्मविश्वास के कारण नहीं हारे’
कप्तान ने कहा, ”मलेशिया से हार के बाद कुछ लोगों ने कहा कि हम अति आत्मविश्वास के शिकार हो गए थे लेकिन यह सच नहीं है। हमारे अंदर आत्मविश्वास था, अति आत्मविश्वास नहीं। हमारे अंदर किसी को भी हराने का आत्मविश्वास था लेकिन बेवकूफाना गलतियां हमें महंगी पड़ीं।” उन्होंने कहा, ”मलेशिया के खिलाफ मुकाबले में हमने शुरूआत ठीक की लेकिन मैच के बीच में खेल धीमा करने की हमारी रणनीति का हमें ही नुकसान उठाना पड़ा। इससे विरोधी टीम को हम पर हमले करने के मौके मिल गए और उन्होंने उसका फायदा उठाया।”