महिलाएं अक्सर शुभ कार्यों, त्योहारों के समय में पैरों में आलता लगाती हैं। हर तीज-त्योहार पर लगाएं जानें वाले इस आलता से जहां आपके पैरों की खूबसूरती बढ़ जाती है ठीक उसी प्रकार यह आपके स्वास्थय के लिए भी काफी लाभदायक माना जाता है। आलता लाल रंग का लिक्विड होता जिसे महिलाएं अपनी ऐडियां भरती हैं। इसे सुहाग की निशानी माना जाता है ।
यह 16 श्रृंगारों में आलता का बहुत महत्व होता है। वैसे आलटा लगाने चलन बहुत पूराना है। लेकिन बदलते इस परिवेश में आलता महिलाओं का सबसे पसंदीदा सिंगार है। जैसे-जैसे लोग मॉर्डन होते जा रहे हैं ठीक उसी प्रकार आलता लगाने की डिजाइनों में भी बदलाव देखा गया है। आज हम आपको आलता लगाने लगाने के कई स्टाइल से रुबरू कराएंगें।
आलता की रस्म जो की दुल्हन के गृह प्रवेश के दौरान की जाती है। इस रस्म में दुल्हन को अपने पैरों में कुमकुम लगाकर घर में प्रवेश करना होता है और उस कुमकुम की छाप घर के आंगन में छप जाती है। गृहप्रवेश की रस्म में ये सबसे महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है।आलटा लगाने में बंगाल, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि में काफी फेमस है।
सुहाग की निशानी मानें जाने के साथ वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है कि आलता लगाने से तनाव कम होता है। प्राकृतिक तरीके से तैयार आलता सेहत के लिए फायदेमंद है। इसका निर्माण पान के पत्ते या लाक से किया जाता है।