मुंबई। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी और सेंट पीटर्स विद्यालय पंचगनी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतला प्रसाद दुबे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अकादमी महाराष्ट्र के प्रत्येक क्षेत्र में कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास का मार्ग प्रशस्त करने के प्रति प्रतिबद्ध है। हम यहाँ लोगों को अपने से जोड़ने और खुद जुड़ने आए हैं। भारतीय भाषाविदों से संपर्क करते हुए उन्हें साथ लेकर ही हिंदी का चहुँमुखी विकास हो सकता है।
डॉ. दुबे ने कहा कि माननीय उच्च शिक्षा मंत्री और अकादमी के अध्यक्ष विनोद जी तावड़े की अभिनव परिकल्पना ‘पुस्तकों के गाँव’ में भाषा एवं साहित्य की चर्चा करने आए हैं हम। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्राचार्य विल्फ्रेड नरोन्हा ने उपस्थित विद्वानों का पुष्पपौध देकर स्वागत किया। डॉ. एल.आई. घोरपड़े ने बीजवक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा पर प्रकाश डाला। प्रिय गीतकार से मिलिए कार्यक्रम में श्रीमती प्रमिला शर्मा ने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए रचनात्मक लेखन की प्रविधि तथा प्रक्रिया को समझाया।
भाषाई संगम कार्यक्रम के अंतर्गत महाबलेश्वर, वाई तथा अन्य स्थानों से ऐसे रचनाकार पधारे जो पेशे से डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी और कवि-लेखक थे। स्पेनिश, फ्रेंच, अशामी, बंग्ला, तमिल, तेलुगू तथा मराठी भाषियों की प्रस्तुति से सभागार मुग्ध हो गया। आँखों की डॉक्टर अभ्यंकर ने कहा कि ‘‘लोगों की आँखों का इलाज भले ही करती हूँ लेकिन अपने रचनाकार के साथ अन्याय नहीं कर सकती। मैं सोचती हिंदी में और लिखती मराठी में हूँ।’’ 40-42 विविध भाषा भाषियों के साथ विद्यार्थियों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में डॉ. जितेंद्र पांडेय का आलोचना ग्रंथ ‘कविता की स्वाधीन चेतना’ तथा उनकी संपादित पुस्तक ‘चार पीढ़ी के कवि’ का लोकार्पण भी किया गया। प्राचार्य रामनयन दुबे, डॉ. रोहिदास वाघमारे और देवेन्द्र प्रताप सिंह ने अपना अभिमत दिया। आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्धोषक आनंद सिंह तथा रवि शुक्ला ने संचालन किया और संयोजक डॉ. जितेंद्र पांडेय तथा पर्यवेक्षक विजय काले ने आभार ज्ञापित किया।
अकादमी जोड़ने और जुड़ने आई है पंचगनी : शीतला प्रसाद दुबे
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