मुंबई। आचार्य श्री महाश्रमण जी के निर्देशानुसार 30 सितंबर को प्रेक्षा दिवस कांदिवली में आगम मनीषी प्रोफेसर मुनि महेंद्र कुमार स्वामी के सान्निध्य में आयोजित किया गया। प्रोग्राम का आयोजन सुबह 9.00 से 11.00 बजे तक किया गया। प्रोग्राम की शुरुआत प्रेक्षा गीत के मंगलाचरण से हुई। प्रेक्षाध्यान स्वाध्याय केंद्र के निर्देशक जयचंद सांखला ने सभी पधारे हुए प्रेक्षाध्यान के साधक-साधिका और सभी श्रावकगण का स्वागत आभार व्यक्त किया।
मुनि श्री डॉक्टर अभिजीत कुमार स्वामी ने आगम के इस वाक्य निंदामि गर्हामी अप्पाणं वोसिरामि की गहरी और हृदयस्पर्शी व्याख्या की। प्रेक्षा के सूत्रों को जीवन से जोड़ते हुए भीतरी क्षमताओं को संवर्धन के सूत्र दिए। मुनि श्री ने कहा, हम स्वभाव में रहें तो अवश्य की स्वस्थ बनेंगे। प्रायश्चित की भावना और गुरु आदि के समक्ष उन गलतियों को स्वीकार करना एक साहसिक कदम है। जिससे सफलता का महामार्ग खुलता है।
वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल दुगड़ (वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर) द्वारा अर्हम की ध्वनि का प्रयोग करवाया गया। ध्यान के चरण विमला जी और ऊषा जैन ने करवाए। प्रेक्षा ध्यान के विषय पर घेवर सुराणा, प्रेमा दुधेड़िया, जयचंद सांखला, विमला दुगड़, भारती आचार्य, सायरा जैन, प्रीति धाकड़, भरत छाजेड़, ममता चोपड़ा, शकुन जैन ने अपने विचार रखे। प्रोग्राम का कुशल संचालन पारसमल दुगड़ ने किया। इस कार्यक्रम में 150 श्रावकों की उपस्थिति रही।
कांदिवली भवन में प्रेक्षा दिवस का आयोजन
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