देश को अणुबम नहीं अणुव्रत की आवश्यकता है- मुनिश्री जिनेश कुमार जी
पालघर। आचार्य श्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का पांचवा दिन अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में तेरापंथ भवन में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा आज संपूर्ण विश्व विनाश के कंगार पर खड़ा है। अणु शस्त्रों की बढ़ती हुई होड ने आंतरिम युद्ध की संभावनाओं को जन्म दिया है। इस विस्फोटक स्थिति में मानव जाति को उबारने वाला एकमात्र तत्व है अध्यात्म। धर्म आध्यात्मिक चेतना जगाने की प्रक्रिया है। धर्म का मूर्त रूप व्रत है। व्रत संकल्प चेतना से पुष्ट होता है। व्रत से इच्छा शक्ति का विकास होता है। व्रत सुरक्षा कवच है। व्रत गाड़ी में ब्रेक के समान है। अणुव्रत और महाव्रत धर्म के दो रूप है। सब महाव्रती नहीं हो सकते लेकिन घर गृहस्थ में रहकर वे अणुव्रतो की साधना कर सकते हैं।
आचार्य तुलसी ने नैतिक मूल्यों व चारित्रिक उन्नयन के लिए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। अणुव्रत यानी जीवन शुद्धि की न्यूनतम आचार संहिता। अणुव्रत केवल आचार संहिता ही नहीं अपितु जीवन का दर्शन है। जीवन जीने की कला है। स्वयं को स्वयं से जोड़ने की प्रक्रिया है। किसी भी वर्ग, जाति, संप्रदाय का व्यक्ति अणुव्रत के नियमों को स्वीकार कर सकता है। यह धर्म और व्यवहार का सेतु है। देश को अणुबम कि नहीं अणुव्रत की अपेक्षा है। आचार्य तुलसी मानवता के मसीहा थे। मानवीय एकता के पक्षधर थे। अणुव्रतों के नियमों से स्वीकार करने से व्यक्ति भव परंपरा को कम कर सकता है। मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने आगे कहा मन को साधने का सबसे अच्छा तरीका जप, तप, व्रत, त्याग नियम है। हित तलेसरा ने 8 की तपस्या करके हिम्मत व साहस का परिचय दिया। हित तलेसरा अठाई के तप का प्रत्याख्यान किया। मुनिश्री जी ने भगवान महावीर जीवन दर्शन का वाचन एवम विमल राजा प्रियामित्र चक्रवर्ती व चंदन मुनि के भव की चर्चा करते हुए दया, संयम, तप के विकास की प्रेरणा दी।
मुनि श्री परमानंद जी ने कहा पर्युषण अध्यात्म का पर्व है। पर्युषण सीमा में आने का पर्व है। पर्युषण व्रतों को स्वीकरन का पावन पर्व है। पर्युषण अणुव्रतों को अपनाने का पर्व है। अणुव्रत वह लाइट हाउस है जो समुद्र में भटकते हुए मनुष्य को सही दिशा, बोध देता है। तेरापंथ सभा अध्यक्ष नरेश जी राठौड़ अणुव्रत समिति के अध्यक्ष देवीलाल जी सिंघवी अणुव्रत मंत्री विमल जी बदामिया व रमेश तलेसरा ने अपने भाव की प्रस्तुति दी। यह जानकारी दिनेश राठौड़ ने दी।
पालघर में अणुव्रत चेतना दिवस मनाया गया
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